Monday, March 16, 2020

स्मारिका /हुजूर मेहता जी महाराज




प्रस्तुति- डा. ममता शरण /
   अनामी शरण बबल




परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज

मितव्यय परामर्शदाता के रूप में

            46. अब जबकि पंच वर्षीय औद्योगिक योजना पूरी हो गई तो परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज ने इच्छा प्रकट की कि उन्हें यथासम्भव शीघ्र ही डायरेक्टर के पद भार से मुक्त किया जाए इस वास्ते सभा अपनी 20 दिसम्बर सन् 1942 ई. की मीटिंग में इस बात से सहमत हो गई और साहबजी महाराज के बड़े भाई श्री द्वारिकाबासी जी को इस पर नियुक्त किया गया जो सन् 1952 ई. में अपनी मृत्यु पर्यन्त इस पद पर बने रहे। सभा ने हुज़ूर मेहताजी साहब से प्रार्थना की कि आर्थिक विषयों में वह पथ-प्रदर्शन देना जारी रखें और उनके स्वीकार करने पर इकोनौमिक एडवाइज़र (मितव्यय परामर्शदाता) का एक नया पद सृजित किया गया और तब से हुज़ूर मेहताजी साहब सभा के Economic Advisor (मितव्यय परामर्शदाता) की हैसियत से काम करते रहे।

खेतों में काम

            47. चूँकि द्वितीय विश्व युद्ध 1939 ई. से चल रहा था, सन् 1942 ई. तक इसका प्रभाव जनसाधारण पर पड़ने लगा था। इसके अतिरिक्त महात्मा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा ”भारत छोड़ो” आन्दोलन जारी हो गया था। आन्दोलन के परिणामस्वरूप यातायात और संचार व्यवस्था कई जगह बाधित हो गई जिससे काम में रुकावट पड़ गई। इस वास्ते सन् 1942 ई. के उत्तरार्द्ध में आम आदमी की कठिनाइयाँ बढ़ गईं। उपभोक्ता वस्तुएँ कम हो गईं, उनकी क़ीमत बहुत बढ़ गईं और काला बाज़ार विकसित हो गया। ख़ासतौर से आयात की कठिनाई और भारत वर्ष में अमेरिकनों और दूसरे सिपाहियों के भारी संख्या में, जिनके लिए राशन जुटाने पड़ते थे, रहने के कारण खाने की वस्तुओं की क़ीमतें अत्यधिक हो गईं। हुज़ूर मेहताजी महाराज ने दयालबाग़ में ”अधिक अन्न उपजाओ” अभियान जारी फ़रमाया और गवर्नमेन्ट ने भी सर्व साधारण को परामर्श दिया कि ”अन्न अधिक उपजाओ” अभियान में संलग्न हों।

            48. सभा के पास लगभग 3357 एकड़ भूमि थी। सन् 1937 ई. से पहले विभाग द्वारा बहुत थोड़ी खेती की जाती थी। निकट के गाँव वासियों को, जिस किसी ने ज़मीन माँगी, दे दी जाती थी। इसके फलस्वरूप कृषि योग्य सभी भूमि लगान पर काश्तकारों को चली गई थी। ऐसी भूमि लगभग 1611 एकड़ थी। इस तरह से सन्1943 ई. में जब मेहताजी साहब ने ”अधिक अन्न उपजाओ” अभियान शुरू किया तो सभा के पास उपलब्ध ज़मीन झाड़-झंखाड़, रेतीले टीले, कंटीली झाड़ियों और सरकण्डों से भरी थी और बिल्कुल ही खेती के योग्य नहीं थी। अतः पहला काम तो इसको साफ़ कर कृषि योग्य बनाना था।

            49. इस तरह से सन् 1943 ई. में बड़ा प्रोग्राम खेतों में काम करने का शुरू हुआ जो अब तक बिना किसी व्यवधान के चल रहा है। प्रतिदिन प्रातः काल-और कभी कभी तो सायं काल भी सतसंगी, वृद्ध और नवयुवक, चाहे वह दयालबाग़ के निवासी हों या सतसंग हेतु आये हुए आगन्तुक हों-कड़कती धूप में और बारिश में, खेतों में काम करने के लिये जाते हैं। भले ही कुछ सतसंगी न जायें लेकिन मेहताजी साहब सदैव ही खेतों में काम करने वालों को प्रेरित करने, उन्हें निर्देशित करने और उनके उत्साहवर्द्धन के लिए जाते रहे हैं।         

 (क्रमशः)

No comments:

Post a Comment

बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...