प्रस्तुति - स्वामी शरण / दीपा शरण
सृष्टि शरण /दृष्टि शरण
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज/
रोजाना वाक्यात- 26 जुलाई 1932-
गीता का अनुवाद दोहराया जा रहा है । आज 6 अभ्यास खत्म करके लेखक के हवाले कर दिए गए । अब वह जाने और उसका काम जाने ।।
इन दिनों हैदराबाद दकन, बड़ौदा, मैसूर रियासतों से दयालबाग की हस्तकलाओ की निस्बत सरकारी का खतूत प्राप्त हुए हैं । मालूम होता है कि अब हमारे काम की कद्र का वक्त आ रहा है । अगर पब्लिक जरा भी हमारे कारखानाजात में दिलचस्पी ले तो 2- 4 साल के अंदर ही हमारा टेक्निकल कॉलेज एक आदर्श संस्था बन सकता है ।
अगर हम आर्यसमाजी या मुसलमान होते तो ना मालूम हमारी संस्थाओं की किस कदर तारीफ होती और हमें किस कदर मौका तरक्की करने के लिए मिलता। तत्काल हम मुट्ठी भर आदमी है और मालिक की दया के भरोसे हाथ पाँव चला रहे हैं। और उस वक्त के इंतजार में है जब हमें दिल खोलकर काम करने का मौका मिलेगा।।
रात के सत्संग में जिक्र हुआ कि सच्चा ब्रह्मण ब्रह्म विद्या के प्रताप से दुख सुख, जन्म मरन,नफा नुकसान वगैरह की हालतों में अडोल रहता है। और सच्चि क्षत्रिय जब एक बार तलवार उठा लेता है तो मरने मारने से जरा नहीं घबराता । और सच्चा वैश्य लाखों रुपए का नफा नुकसान सहज में बर्दाश्त कर लेता है। अगर इन बातों को दृष्टिगत रखकर गौर किया जावे तो मुश्किल से इने गिने आदमी सच्चे ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य कहलाते के हकदार निकलेंगे ।
सतसंगियों को चाहिए कि जहां तक जल्द मुमकिन हो शूद्र पन छोड़े और सच्चे सत्संगी बने।
। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
No comments:
Post a Comment