प्रस्तुति - सपन कुमार
घर से जब भी बाहर जाये
तो घर में विराजमान अपने सतगुरु से जरूर
मिलकर जाएं
और
जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले
क्योंकि
उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार
रहता है
*"घर" में यह नियम बनाइए की जब भी आप घर से बाहर निकले तो घर में सतगुरु के स्वरूप के पास दो घड़ी खड़े रह कर कहें *
"सतगुरु चलिए..
आपको साथ में रहना हैं"..!
*ऐसा बोल कर ही घर से निकले *
* क्यूँकिआप भले ही*
"लाखों की घड़ी" हाथ में क्यूँ ना पहने हो
पर
* "समय" तो "सतगुरु के ही हाथ" में हैं न*
🥀
शाम के सतसंग में
*परम पूज्य हुज़ूर द्वारा फ़रमाया गया अमृत
बचन*
*आपको कोई परमार्थी लाभ की चिन्ता नहीं है, कारण ये है कि सतसंग में आने के लिये आपको शान्त रहना चाहिये और जहाँ तक हो, जैसा मैंने कहा,जिज्ञासु लोगों के लिये भी ये बताया गया है कि चार चक्रों पर-’रा’ नाभि चक्र पर, ’धा’ हृदय चक्र पर, ’स्वा’ कंठ चक्र पर और ’मी’ जो नेत्रों के मध्यान चक्र है जिस पर सुरत स्थान करती है, उस पर करने से आपको बहुत अधिक परमार्थी लाभ होता है। इसीलिये जब मैं भी सतसंग आता हूँ उसी के पालन में, लोग जो खड़े रहते हैं या इंतज़ार करते हैं या राधास्वामी करते हैं उसका मैं जवाब नहीं देता और न उनकी तरफ़ देखता हूँ। इसकी वजह ये है कि आप भी इसी तरह शान्ति से आयेंगे तो जो विकिरण वक्त़ संत सतगुरु के आपके बीच से निकलने पर होता है उसके लाभ से आप पोषित होंगे। तो आगे से ये मत सोचिये कि हम इतनी दूर से आये हैं गुरु महाराज देखते ही नहीं हमारी तरफ़। पर आपने देखा होगा कि लौटते वक्त़ या खेत के वक्त़ जब आप आते हैं तो गुरु महाराज आपकी तरफ़ ग़ौर से देखते हैं तो वह अवसर उनके देखने का है, उस अवसर पर आप उनके नेत्र से नेत्र मिलायें तो आपको अधिक लाभ होगा। तो मैं उम्मीद करता हूँ कि आप इसका पालन करेंगे।* हुज़ूर मेहताजी साहब तो इस तरह की हरकत से इतना ज़्यादा रुष्ट हो जाते थे कि किसी ने राधास्वामी कहा या हाथ जोड़े तो उसको उसी वक्त़ दयालबाग़ से बाहर कर दिया जाता था। जो आये होते थे भंडारे के लिये वो जानते नहीं थे, एक बनारस में सतसंगी थे, शायद जिज्ञासु थे उस वक्त़। तो उन्होंने हाथ जोड़ कर राधास्वामी किया और उसी वक्त़ उनको बाहर करके वापस कर दिया गया। तो फिर उनको बाद में समझाने से उनको बात समझ में आ गई कि यही वजह होती है कि आप पूरा लाभ तभी उठा सकते हैं जब आप शान्त हो कर सतसंग में आयें। सतसंग आते वक्त़ आपस में बात मत करिये चाहे अगर आप रा-धा-स्वा-मी जैसा मैंने कहा चार चक्रों पर, जिज्ञासुओं को बताया जाता है वैसा करेंगे तो आपको पूरा लाभ प्राप्त होगा, पर वो नहीं करेंगे तब भी जो विकिरण है उससे आप लाभान्वित होंगे। अगर आप बातों में लग गये तो वो भी नहीं आप लाभ पा सकेंगे।
राधास्वामी
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