प्रस्तुति - अरुण अगम यादव
*हम सभी को पता है कि मिश्री मीठी होती है।*
*आप मुँह मे मिश्री डालकर*
*चाहे घूमे,*
*चाहे बैठ जाये,*
*चाहे लेट जाएँ।*
*पर जब तक मुँह मे मिश्री है तब तक मुँह मीठा रहेगा जी।*
*इसी प्रकार सुमिरन है।*
*जब हम चलते-फिरते, उठते-बैठते, खाते-पीते, यानि हम जिस स्थिति मे भी हो,*
*सुमिरन करते रहेंगे, तो उस मिश्री की तरह नाम का मिठास हमारी आत्मा को आता रहेगा जी।*
*क्योंकि सुमिरन शरीर की नहीं आत्मा की खुराक है।*
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।।।
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