प्रस्तुति - दिनेश कुमार सिन्हा
चरण स्पर्श से बड़े बड़े ग्रहों को ठीक किया जा सकता है चरण स्पर्श का महत्व🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
भारत में चरण स्पर्श की अतिप्राचीन परंपरा है। व्यक्ति स्वयं से आयु में या रिश्ते-नाते में बडे़ व्यक्ति के चरण स्पर्श करता है। ग्रामीण महिलाएं अपने से बड़ी महिलाओं के चरण स्पर्श कर उन पर हल्का दबाव (पदचापन) डालती हैं और जिस बुजुर्ग महिला के पद दबाये जा रहे होते हैं, वह निरंतर दुआएँ, आर्शीवाद, आषीश, सद्वचन बोलती रहती हैं, जिससे चरण स्पर्श, पदचापन और आशीर्वचन का परस्पर लेन-देन हो जाता है। व्यक्ति के शरीर में 72 नाड़ियाँ होती हैं और एक सामान्य स्वस्थ मनुष्य का हृदय भी एक मिनट में 72 श्वास-प्रच्छ्वास करता है अर्थात् एक प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है। सेवा भी पूर्ण और आर्शीवाद भी पूर्ण। यह एक अनुभूत प्रयोग है कि कोई व्यक्ति कितना ही मलिन स्वभाव का हो, कितना ही दुश्चरित्र हो, कितना ही अपवित्र और दूषित विचारों का हो, यदि उसके भी चरण स्पर्श किए जाते हैं तो उसके मुख से आर्शीवाद, दुआ, सद्वचन ही निकलता है अथवा यदि वह ऐसा नहीं करता है तो अपने चरण स्पर्श के दौरान मौन रह जाता है, कुछ भी नहीं बोलता।
व्यक्ति का मौन हो जाना, उसकी अंतर्मुखता को दर्शाता है। अंतर्मन से सामान्यतः व्यक्ति सकारात्मक ही सोचता है,और मन ही मन आशीर्वाद भी देता है।
ये बात और है कि वे खामोश खड़े रहते हैं अर्थात् मौन में व्यक्ति महान् बन जाता है, इसलिए चरण स्पर्श, चरणवंदन, चरण स्तुति, चरण पूजा, चरण स्मृति कभी भी व्यर्थ नहीं जाते, इनके सुपरिणाम अवश्य मिलते हैं। जिसे हम चरण स्पर्श करके बड़ा बनाते हैं, वह बड़ा ही रहता है, छोटे विचार मन में नहीं ला सकता, चाहे आर्शीवाद बोलकर दे या मौन रह जाए।
यहां एक और महत्वपूर्ण प्राचीन परंपरा की ओर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया जाता है कि प्राचीनकाल में जब ऋषि, मुनि, योगी या संतजन किसी राज दरबार में आते थे तो राजा पहले शुद्ध जल से उनके चरण धोता (चरण पखारना) था, तत्पश्चात् चरण स्पर्श की परंपरा पूर्ण करता था।
चरण स्पर्श से पहले चरण धोने के पीछे संभवतः यह वैज्ञानिक कारण रहा होगा कि चरणों में एकत्रित विद्युत-चुंबकीय ऊर्जा चलकर आने से अत्यधिक तीव्रता से प्रवाहित है और गर्म है, धोने से यह सामान्य अवस्था में आ जाती है और जो व्यक्ति चलकर आता है, उसकी मानसिक और शारीरिक थकान/बेचैनी के कारण वह एकाएक शुभाशीर्वाद देने की स्थिति में नहीं होता है, जल से उसका संपर्क आने से वह भी सामान्य स्थिति में आ जाता है, अब चरण स्पर्श पूर्णतः सकारात्मक स्थिति में होगा। इन प्रयोगों को आज भी यदि किसी प्रकार से किया जाए तो व्यावहारिक परिणाम मिलते हैं, देखा जा सकता है। आज भी इस परम्परा (चरण धोना और चरण स्पर्ष करना) का निर्वाह पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जाता है।
यहां एक और भी वैज्ञानिक पहलू का उल्लेख करना उचित होगा कि यदि स्त्री ,स्त्री का और पुरूष पुरूष का चरण स्पर्ष या चरण पखारें तो परिणाम और भी अनुकूल मिलते हैं।
🔱चरण स्पर्श करते समय यदि बायें हाथ से बायें पैर और दायें हाथ से दायें पैर का स्पर्श किया जाए तो सजातीय ऊर्जा का प्रवेश, सजातीय अंग से तेजी से और पूर्णरूप से होता है जबकि इसके विपरीत करने से ऊर्जा प्रवाह अवरोध या रूकावट के साथ होता है। एक और पहलू यह है कि जब व्यक्ति चरण स्पर्श करता है तो जिस व्यक्ति के चरण स्पर्श किए जाते हैं, उसके हाथ सहज ही चरण स्पर्ष करने वाले व्यक्ति के सिर पर जाते हैं और उसके सहस्त्रार चक्र से स्पर्श होते हैं। सहस्त्रार चक्र में सक्रियता उत्पन्न होती है जिससे ज्ञान, बुद्धि और विवेक का विकास सहज ही होने लगता है।
चरण छूकर प्रणाम करने के ये हैं जबरदस्त फायदे...
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अपने से बड़ों का अभिवादन करने के लिए चरण छूने की परंपरा सदियों से रही है. सनातन धर्म में अपने से बड़े के आदर के लिए चरण स्पर्श उत्तम माना गया है।
अपने से बड़ों का अभिवादन करने के लिए चरण छूने की परंपरा सदियों से रही है. सनातन धर्म में अपने से बड़े के आदर के लिए चरण स्पर्श उत्तम माना गया है. प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर चरण स्पर्श के कई फायदे हैं...
1. चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना. इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है. साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में कामयाब होता है.
2. जब हम किसी आदरणीय व्यक्ति के चरण छूते हैं, तो आशीर्वाद के तौर पर उनका हाथ हमारे सिर के उपरी भाग को और हमारा हाथ उनके चरण को स्पर्श करता है. ऐसी मान्यता है कि इससे उस पूजनीय व्यक्ति की पॉजिटिव एनर्जी आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है. इससे हमारा आध्यात्मिक तथा मानसिक विकास होता है.
3. शास्त्रों में कहा गया है कि हर रोज बड़ों के अभिवादन से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है.और भयानक से भयानक संकट टाले जा सकते हैं।
4=अगर आपके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है और आपको कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो रोज सुबह सुबह माता-पिता के साथ अन्य बड़े लोगों का आशीर्वाद लेना शुरू करें, आपको जबरदस्त लाभ होगा।
5.चरण स्पर्श पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ करना चाहिए न कि दिखावे के लिए। आजकल लोग चरण छूना भूलकर हाय हैलो बोलने लगे हैं जो कि आध्यात्मिक दृष्टि से ठीक नहीं है ये ग्रहों को ख़राब करता है,
((आप खुद देखिए कि सुबह सुबह कोई आपको आशीर्वाद देता है तो आपको कैसा लगता है और कोई हाय हैलो बोले तो कैसा लगता है))
. चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक है.
. माना जाता है कि पैर के अंगूठे से भी शक्ति का संचार होता है. मनुष्य के पांव के अंगूठे में भी ऊर्जा प्रसारित करने की शक्ति होती है.
. मान्यता है कि बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श नियमित तौर पर करने से कई प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं.
. इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष यह है कि जिन लक्ष्यों की प्राप्ति को मन में रखकर बड़ों को प्रणाम किया जाता है, उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है.
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. आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है.
प्रणाम करने का एक फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है. इन्हीं कारणों से बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया है.
शास्त्रों में कहा गया है कि बड़ों के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। विशेष तौर पर जब आप किसी जरूरी काम से कहीं जा रहे हों या कोई नया काम शुरू कर रहे हों। इससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल इसके पीछे अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक कारण छुपा है।
हमारी मान्यताओं के मुताबिक जब आप किसी का चरण स्पर्श करते हैं तो अहंकार समाप्त होता है और हृदय में समर्पण एवं विनम्रता का भाव जागृत होता है। आपके शरीर की उर्जा चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति में पहुंचती है। श्रेष्ठ व्यक्ति में पहुंचकर उर्जा में मौजूद नकारात्मक तत्व नष्ट हो जाता है। सकारात्मक उर्जा चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति से आशीर्वाद के माध्यम से वापस मिल जाती है। इससे जिन उद्देश्यों को मन में रखकर आप बड़ों को प्रणाम करते हैं उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है।
अध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि, जब आप किसी का चरण स्पर्श करते हैं तो यह किसी व्यक्ति के लिए नहीं होता है। चरण स्पर्श से आप उस परमात्मा को प्रणाम करते हैं जो व्यक्ति के शरीर में आत्मा के रूप में मौजूद होता है। चरण स्पर्श करते समय हमेशा दोनों हाथों से दोनों पैरों को छूना चाहिए। एक हाथ से पांव छूने के तरीके को शास्त्रों में गलत बताया गया है।
शास्त्रों में चरण स्पर्श के तीन प्रकार बताये गये हैं। झुककर, घुटनों के बल बैठकर और साष्टांग प्रणाम। वैज्ञानिक दृष्टि से झुककर चरण स्पर्श करने से कमर और रीढ़ की हड्डियों को आराम मिलता है। रक्त का प्रवाह सिर की ओर होता है जिससे मानसिक क्षमता और आंखों की रोशनी बढ़ती है।
चरण स्पर्श से आयु भी लंबी होती है। इस संदर्भ में एक बहुत ही सुंदर कथा है। ऋषि मार्कण्डेय जी अल्पायु थे। जब इनके पिता को इस बात की जानकारी हुई तो उनका जनेऊ संस्कार कर दिया और चरण स्पर्श की दीक्षा दी। मार्कण्डेय जी के पिता ने कहा कि पुत्र मार्कण्डेय तुम्हें जो भी व्यक्ति दिखे उनका चरण स्पर्श करना। मार्कण्डेय जी ने ऐसा ही करना शुरू कर दिया। एक दिन उनके सामने सप्तऋषि आए।
मार्कण्डेय जी ने झुककर सप्तऋषियों का चरण स्पर्श किया। अनजाने में सप्तऋषियों ने मार्कण्डेय जी को दीर्घायु का आशीर्वाद दे दिया। जब इन्हें पता चला कि मार्कण्डेय जी अल्पायु हैं तो चिंता में पड़ गये। सप्तऋषि बालक मार्कण्डेय को ब्रह्मा जी के पास ले गये। मार्कण्डेय जी ने ब्रह्मा जी का भी चरण स्पर्श किया। ब्रह्मा जी ने भी मार्कण्डेय को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया।
सप्तऋषियों ने ब्रह्मा जी से कहा कि यह बालक तो अल्पायु है। अगर कम उम्र में ही इसकी मृत्यु होती है तो हम दोनों का आशीर्वाद झूठा शाबित होगा। सप्तऋषि की बात सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा कि अब यह बालक दीर्घायु होगा और कई कल्पों तक जीवित रहेगा। मार्कण्डेय जी के प्राण लेने जब यमराज आये तो भगवान शिव ने यमराज को भगा दिया। बालक मार्कण्डेय ऋषि मार्कण्डेय बनकर कई कल्पों तक जीवित रहे।
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