Monday, March 16, 2020

स्मारिका / खेतों में काम





परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज

खेतों में काम

(पिछले दिन का शेष)

            50. खेतों में काम करने की तुलना उन भक्तजनों की दशा से की जा सकती है जिसका उल्लेख सतसंग की पोथियों में किया गया है। भक्तों के बारे में कहा जाता है कि वह बसंत ऋतु में पीले वस्त्र में होते हैं; उस समय पीले फूल भी खिले हुए रहते हैं चारों ओर पीला रंग फैला हुआ दिखता है। इसी तरह से खेतों में काम करने वाले भी खेत की पीली मिट्टी से रंग जाते हैं। कहा जाता है कि होली के दिनों में भक्त धूल उड़ा कर काल और कर्म की हँसी उड़ाते हैं जो खेत में काम करते हैं वह सच ही प्रतिदिन खेतों में धूल उड़ाते हैं। दया और मेहर की वर्षा में भक्त सराबोर हो जाते हैं, माया डूब जाती है। वर्षा ऋतु में खेतों में काम करने वाले सराबोर हो जाते हैं और सावन के महीने में भक्त धान के खेतों में घुटने तक पानी में काम करते हैं। भक्त के लिए कहा गया है कि वह झूले पर कभी ऊपर कभी नीचे झूलता है,

सुरतिया झूल रही आज धरन गगन के बीच।

            अर्थात सुरत पृथ्वी और आकाश के बीच ऊपर जाती और नीचे आती है इसी तरह से खेतों में काम करने वाले भी पाटे के साथ ऊपर नीचे जाते हैं। बहुधा खेतों में जब तरह तरह के काम चलते रहते हैं तो भक्तजन शब्दों का सामूहिक पाठ करने लगते हैं।

            51. इस कार्य से मालिक की जो असीम अनुकम्पा प्राप्त होती है उसका पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता। कभी कभी मेहताजी साहब एक ऊँचे टीले पर बैठ कर चारों ओर हो रहे काम पर अपनी दया दृष्टि डालते हैं और यदि इस दृश्य को कोई देखे तो सहज ही सारबचन की यह पक्तियाँ

घाट पर बैठे दीखें मोहि।

याद आ जाती हैं। बहुत से वृद्ध सतसंगी जो चलने फिरने में कठिनाई महसूस करते थे, खेतों पर काम करके उनमें एक नई शक्ति आ गई और अब वह आसानी से चल सकते हैं और फावड़ा इत्यादि से लगातार काम कर सकते हैं। खेतों में काम करने का यह दुर्लभ अवसर जो हर्षोल्लास से परिपूर्ण परम सुखदायी हो और कार्यकर्ताओं को असंख्य वरदान दे उसे वर्तमान युग का एक अलौकिक चमत्कार ही कहा जा सकता है। यह तो वही भाग्यशाली और बुद्धिमान व्यक्ति अनुभव कर सकता है जिसने ऐसा अवसर कभी न चूका हो।

            52. इस प्रकार खेतों का काम, जो सन् 1943 ई. में आरम्भ हुआ प्रतिदिन जारी रहा और अब भी जारी है और भूमि समतल करने के काम के अतिरिक्त सतसंगी भाई खेतों के हर प्रकार के काम जैसे नाली खोदना, हल चलाना, बीज बोना, पानी देना, निराई करना, फ़सल काटना, थ्रैशर से दाना निकालना, गठ्ठर ले जाना आदि आदि में भाग लेते हैं। कुछ वर्षों के बाद यानि सन् 1955-56 ई. से कॉलोनी की महिलाओं ने भी खेतों में हल्का काम जैसे निराई आदि शुरू किया परन्तु बाद में उन्होंने खेती के प्रत्येक काम में जिनमें फावड़े से खुदाई करना और समतल करना भी शामिल है, भाग लेना शुरू कर दिया।

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।


।।




No comments:

Post a Comment

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...