राधास्वामी!!
12-05-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) सतसंग की कदर न जानी। मन बिरथा बैंस गवाई। (प्रेमबानी-भाग-3,शब्द-8,पृ.सं.253)
(2) मन मोरा गुरु सँग लाग हो।।टेक।। गुरु सँग में कोई दिन जौ ठैरो काज बने सब पूरा। प्रीति प्रतिती बसे घट भीतर कायर से होय सूरा (हो) (प्रेमबिलास-शब्द-111,पृ.सं.167)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!!
12-05 -2020-
आज शाम के सत्संग में पढा गया बचन-
कल से आगे-( 135 )
जो लोग अंतर में चाल चला चाहते हैं उन्हें याद रखना चाहिए कि छठे चक्र पर सुरत की बेदारी शुरू होने पर अभ्यासी की वही हालत होती है जो माता के गर्भ से बाहर आने पर किसी बच्चे की होती है यानी अभ्यासी उस वक्त अपने तई बेहद कमजोर व बेबस महसूस करता है ।
पुराने संस्कार अपना जोर लगाकर उसकी सुरत को नीचे की तरफ खींचते हैं और सुरत गिर गिर पड़ती है ।उस वक्त अभ्यासी को रक्षा व मदद की वैसी ही सख्त जरूरत होती है जैसी संसार में जन्म लेने पर बच्चे को होती है।
अब जो लोग किसी पुस्तक को गुरु मानते हैं उनसे दरयाफ्त करो कि उस मौके पर कोई पुस्तक, चाहे वह कैसी ही मुतबर्रिक क्यों न मानी जाए ,क्या सहायता कर सकती है ? पुस्तक तो खुद अपनी रक्षा के लिए हमारी सहायता की मोहताज है।
उस मौके पर सिर्फ हमसे बढ़कर चेतन पुरुष हमारी मदद कर सकता है जिसकी सुरत इस स्थान पर पूरे तौर बेदार है वही हमसे बढ़कर चेतन पुरुष है और उसी को सच्चा गुरु कहते हैं ।इसलिए लोग जिस चीज में चाहे निश्चय बांधकर अपना दिल बहला ले लेकिन वक्त पड़ने पर सच्चे सतगुरु जी की शरण लेनी पड़ेगी।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सतसंग के उपदेश- भाग तीसरा।।
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।
।।।
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