राधास्वामी!!26-05- 2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा बचन-
कल से आगे -(146)
सवाल सत्संगी का -लोग कहते हैं कि जिसका आदि नहीं है उसका अंत भी नहीं है । इसलिए अगर हमारे सुरतों को आदि कर्म की वजह से संसार में आना पड़ा और वह आदि कर्म अजल( हमेशा) से हमारी सुरतों के साथ था तो उसका कभी खात्मा नहीं हो सकता और इसलिए हमारी हर्गिज हमेशा के लिए मुक्ति नहीं हो सकती। जवाब- अगर आदिकर्म का लेश किसी सुरत के जिम्मे सिर्फ इस कदर हो कि कुछ मुद्दत संसार में जन्म मरण का चक्कर भुगते फिर खत्म हो जाए तो लाजमी है कि इस लेश के खत्म होने पर वह सुरत इस संसार से बाहर हो जाए । चुनांचे हरचंद आदिकर्म का लेश बाज सुरतों के साथ अजल से चला आता है लेकिन उसकी मिकदार या तेजी ऐसी है कि कुछ अर्से बाद खत्म हो जाती है और उस वक्त उन सुरतों को हमेशा के लिए मोक्ष मिलना लाजमी है।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश भाग तीसरा
राधास्वामी
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राधास्वामी
राधास्वामी
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