दिल्ली का पशुपति मंदिर कहां
भारत-नेपाल के बीच गरमाते सीमा विवाद के बीच एक पशुपतिनाथ मंदिर हमारा भी है। काठमांडू से सैकड़ों किलोमीट दूर यमुनापार के भीड़भाड़ वाले कड़कड़डूमा इलाके में है यह पशुपतिनाथ मंदिर। निश्चित रूप से यह काठमांडू वाले पशुपतिनाथ मंदिर जितना भव्य या एतिहासिक तो नहीं है। इसका डिजाइन नेपाल के मंदिरों से प्रभावित है। इसे गुजरे बीसेक साल पहले यहां बसे नेपाली समाज ने बनाया है। वे इधर पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं। इसके भीतर देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हैं। लॉकडाउन के कारण हमारे पशुपतिनाथ मंदिर के कपाट भी बंद हैं। इसके पुजारी येसु सरन कहते रहे हैं कि भारत-नेपाल में किसी तरह का मनमुटाव हो ही नहीं सकता। दिल्ली के नेपाली समाज ने अपना एक मंदिर बलजीत नगर में भी बनाया हुआ है। ये जिधर है उस सड़क का नाम ही नेपाली मंदिर रोड है।
दिल्ली में पढ़े,बने मेपाल के पीएम
दिल्ली यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में लंबे समय से
नेपाल के नौजवान उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते रहे हैं। नेपाल के पांच बार प्रधानमंत्री रहे गिरिजा प्रसाद कोइराला किरोड़ीमल कॉलेज के छात्र रहे हैं। वे नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष थे। किरोड़ीमल कॉलेज के पूर्व छात्र और अब हंसराज कॉलेज में अध्यापक प्रभांशु ओझा कहते हैं कि किरोड़ीमल कॉलेज बिरादरी को हमेशा गर्व रहा है कि श्री जी.पी.कोइराला हमारे अपने हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी में नेपाली छात्र संघ भी हैं। कुछ साल पहले जब नेपाल में भूकंप के कारण भारी विनाश हुआ था तब इन्होंने यहां राहत सामग्री एकत्र करके अपने देश में भेजी थी।नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने सन 1986 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी।
दिल्ली में क्या-क्या करते नेपाली
अपनी दिल्ली में चार-पांच लाख नेपाली नागरिक अवश्य होंगे। एक दौर में नेपाली सिक्युरिटी के काम से बड़ी तादाद में जुड़े हुए थे। ये आर.के.पुरम, नेताजी नगर, आईएनए, सरोजनी नगर, लोधी रोड, लाजपत नगर वगैरह में सिक्युरिटी गॉर्ड के रूप में काम कर रहे थे। आपको कनॉट प्लेस के अधिकतर होटलों और रेस्तरांओं में नेपाली शेफ मिलेंगे। ये यहां ठीक-ठाक कमा-खा रहे हैं। कभी किसी के साथ भेदभाव की खबर नहीं सुनाई दी। लॉकडाउन के कारण दिल्ली में रहने वाले सैकड़ों नेपाली नागरिकों के सामने संकट खड़ा हो गया है। वे वापस नेपाल जाने की कोशिश करते रहे हैं। उनकी दिल्ली में सक्रिय अखिल भारत नेपाल एकता मंच सहायता कर रहा है। दिल्ली में नेपालियों के बहुत से सामाजिक सांस्कृतिक संगठन हैं। इस बीच,आजकल
फिरोजशाह रोड पर स्थित नेपाल दूतावास भी बंद है। सामान्य दिनों में इसके बाहर रोज बहुत से नेपाली खड़े हुए होते हैं। नेपाल दूतावास में करीब 250 लोगों का स्टाफ है। इधर स्टाफ के फ्लैट भी बने हुए हैं।
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