राधास्वामी!
! 30-05-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ
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(1) भक्ति कर लीजिये जग जीवन थोडा।।टेक।। दया करी गुरु प्रीतमा, मोहि संग लगाई। घर का भेद सुनाय कर, स्रुत अधर चढाई।।(प्रेमबानी-3-शब्द-2,पृ.सं.269)
(2) भूल पडी जग माहि भरम बस जिव भयो। निज घर सुधि बिसराय जगत सँग लग रह्यो।। (प्रेमबिलास-शब्द-123-पृ.सं.179)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!!
30-05- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-(
149)
सवाल- क्या पत्थर के अंदर भी मुख्तलिफ रूहानी दर्जे हैं?
जवाब- जहाँ रूह मौजूद है वहाँ रूहानी दर्जे भी किसी न किसी हालत में जरूर मौजूद होंगे लेकिन चूँकि पत्थर में रूह का इजहार निहायय अदना है इसलिए उसके अंदर रूहानी दर्जे निहायत स्थूल शक्ल में कायम होंगे। रूह चूँकि मुकम्मल जौहर है और मालिक का अंश है इसलिए उसके कमालात में किसी तरह का फर्क नहीं आ सकता और जो चीज पत्थर कहलाती है वह दरअसल रुह का जिस्म यानी गिलाफ है और चूँकि वह गिलाफ स्थूल और भद्दा है इसलिए उसके अंदर रुहानी दर्जो इजहार निहायत नामुकम्मल तरीक से मुमकिन हुआ है।
सवाल- काल पुरुष और दयाल पुरुष में क्या फर्क है ?
जवाब - जो मन व रुह में। मन कालका अंश है और रुह दयाल का।।
सवाल- मन तो जड बतलाया जाता है?
जवाब - मन रुह के मुकाबले जड है लेकिन माद्दे यानी जड प्रकृति के मुकाबले चेतन है।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।
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