*हम होते ही कौन हैं , मालिक के काम में दखलअंदाज़ी करने वाले ....*
*जो कुछ हो रहा है , उस मालिक की मर्ज़ी से ही तो हो रहा है ..*
*इसलिये कभी जीवन में दुःख भी आ जायें तो चिन्ता नहीं करनी चाहिये ..*
*क्योंकि उसकी ☝🏻गत वो ही जाने , न जाने कौन से कर्म कटवाने होंगे , कौनसा लेनदेन चुकता करना होगा , हमें क्या खबर ?*
*इसलिये मालिक की रज़ा में राज़ी रहने में ही समझदारी है ..*
*मालिक के भाणे में रहना सीखें हम लोग ...और बाकी सब कुछ उस परमपिता परमात्मा पर छोड़ दें , विश्वास रखें बस ... अपने विश्वास को डगमगाने बिल्कुल ना दें ... फिर देखें कि कैसे हमें मालिक इन दुःखों को सहन करने शक्ति हमें बख्शते हैं ...*
*सहनशक्ति तो क्या मालिक इन दुःखों को कैसे पहाड़ से राई में तब्दील कर देते हैं , हमें पता तक नहीं चलता ...*
*बस जरूरत है अटूट विश्वास और सच्ची सेवा की , जिसकी ओर तो हम लोगों का बहुत कम ध्यान जाता है ....*
*इसलिये हम लोग ये प्रण करें कि उठते-बैठते , सोते-जागते ,चलते-फिरते , खाते-पीते , काम-काज करते , कभी-भी , कहीं-भी अपनी असली कमाई यानी सिमरन-भजन की ओर ध्यान दें ....ना कि बाकी की फालतू और बेमतलब की चीज़ों की ओर .....*
।।।।।।।।।।।।।।
*फिर देखें कि सच्चा सुख क्या होता है....*
गुरू प्यारी साध संगत जी सभी सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी...
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