Friday, May 22, 2020

परम गुरू हुजूर साहबजी महाराज /रोजानावाकियात





**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

रोजाना वाक्यात-

कल का शेष-

 रात के सत्संग में सतगुरु भक्ति के मुतअल्लिक बातचीत हुई। राधास्वामी मत में गुरु भक्ति पर कमाल दर्जे का जोडर दिया गया है। यहां तक फरमाया गया है कि:- "जब लग गुरु भक्ति नहि पूरी मन मनसा यह होंये ना चूरी मन चूरे बिन सुरत न निर्मल कैसे चढ़े और मिले शब्द चल" अगर कोई यह उम्मीद करें कि गुरु भक्ति के बगैर काम चल जाएगा तो वह सख्त गलती करता है।

अंतरी साधन उसी शख्स से बन सकता है जिसने अव्वल अपने अंतर काफी शुद्धता पैदा कर ली है।  शुद्धता के लिए मन व मनसा को चूर करना होगा। यानी मन से हर किस्म की दुनियावी बासनायें दूर करनी होगी और मन के सभी बिकारी अंग दमन करने होंगे। और मन व मनसा के चूर करने के लिए गुरु भक्ति की सबसे उत्तम उपाय है।

अगर जीव अपना जोर लगाकर भक्ति का कोई काम करता है तो उसका मन अहंकार से भर जाता है और अगर चुपचाप बैठता है तो मन व मनसा उसकी सुरत को मलीन बनाए रखते हैं। बेचारे करें तो क्या करें ?

 राधास्वामी मत बतलाता है कि उसे सब काम गुरु अर्पण करके करने चाहिए। बिला निष्कामता अहंकार जरूर पैदा होगा । सच्चा भक्त ना अपने लिए जीता है ना अपने बल से को काम करता है । इसलिए न उसे कर्म लपेटति है ना उसके अंदर अहंकार जागता है। यह सब काम करता हुआ दिन-ब-दिन अपने भगवंत के चरणो की तरफ कदम बढ़ाता है।

 स्पष्ट हो की गुरुभक्ति के माने सिर्फ बाहर से कामकाज कर देना नहीं है। गुरु भक्ति के लिए मन का घाट व ढंग दुरुस्त रखना लाजिमीं है। अहंकार की उत्पत्ति भंवर गुफा से बतलाई गई है। जब तक कोई उस मंजिल के पार नहीं पहुंच जाता उसे बराबर एहतियात से काम लेना होगा ।

उस मंजिल के पार पहुंच वाले की यही पहचान है कि परम गति प्राप्त रहते हुए वह किसी पर अपनी बड़ाई जाहिर नहीं करता है। वह दीन अधीध ही रहकर जिंदगी बसर करता है। अपने से नीचे दर्जे के जीव देखकर उसके अंदर दया उठती है। वह न किसी को नफरत करता है और ना किसी के रुबरु शेखी बघारता है ।

सत्तपुरुष का दर्शन करने वाले के अंदर "मैं" नहीं रह सकती।  जिसके अंदर "में " है उसका आपा अपने ही गिर्द लगाता है और तेली के बैल की तरह समझता है मैंने 100 कोस की दूरी तय की है।।       

       

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी

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