**परम गुरु हुजू महाराज
- प्रेम पत्र- भाग-1-
कल से आगे;
- गरज इससे साफ यह मालूम होती है कि जहां अदब या प्यार या मोहब्बत दिलों में है वहां जरूर छूने एक दूसरे की देह के मन को चैन नहीं आता है और इस छूने से एक की चैतन्य धार दूसरे की चैतन्य धार से मिल जाती है, क्योंकि असल में सब मनुष्यों का स्वरूप चेतन धार है जो रगो के रास्ते के तमाम बदन और अंग अंग में फैली हुई है। और प्यार और मोहब्बत और अदब का जोश और उसी धार में है। तो वह धार जब तक कि दूसरे की धार से किसी कदर न मिले अपने प्यार या मोहब्बत या अदब का फायदा यानी रस और आनंद नहीं हासिल कर सकती है ।
इस वास्ते सब देशों में और सब कौमों में कोई ना कोई चाल इस किस्म की जारी है जिससे यह मतलब हासिल होवे। फिर संत सतगुरु या साधगुरु के चरणों के स्पर्श से, कि जिनकी देह से निहायत ऊंचे दर्जे की चैतन्य की धार हर वक्त जारी है, किस कदर फायदा, अलावा उनकी दया खास के, यानी रस और आनंद हासिल होना मुमकिन है ।इस वास्ते हर एक शख्स को चाहिए कि जब कहीं ऐसे महात्मा मिले जरूर अपना परमार्थी और संसारी भाग बढ़ाने के बाद से उनके चरणों में माथा टेके उनके चरणों को भाव और प्रेम के साथ सिर झुका कर छुए।
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी।।।।।।।।।।।।।।।।
।।।।।।
।
No comments:
Post a Comment