**राधास्वामी!! 18-05-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) यह देश मुझे नहिं भावे। यहाँ दुख सुख नित ही सहना। कोई भेद नित ही सहना।कोई भेद देव वा घर का। जहाँ सदही आनँद लेना। मैं उन चरनन पडूँ री।। (प्रेमबानी-3-शब्द-1(भाग पाचँवा) पृ.सं. 258)
(2) गुरु दयाल(मेरे दयाल) अस करिये दारा। तुम्हरी सेवा और तुम भक्तन की बनत रहे सिर नाया।। (प्रेमबिलास-शब्द-115,पृ.सं. 171)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 18-05 -2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये बचन-
कल से आगे -(140)
सत्संग में हर कौम, मुल्क, दर्जे व काबिलियत के मर्द व औरत शरीक है और शरीक होते रहेंगे और जब कि कुदरत को तफरीक( आसाम्य) ही पसंद है तो मुसावात (साम्य) कोई कैसे पैदा कर सकता है? लेकिन हमारी शोभा इसमें होगी कि जैसे माली मुख्तलिफ रंगों के फूलों को तरतीब देकर एक खूबसूरत गुलदस्ता बना देता है यानी फूलों के रंगों की तफरीक को अपनी अक्ल लगाकर ज्यादा खुशनुमा बना देता है, हम भी सत्संगियों के रूप व रंग , मिजाज व काबिलियत की तफरीक को ऐसी तरतीब दें कि एक सुडौल व काबिलेदीद संगत बन जाय। हमारे लिए मुसावात के सिर्फ यह मानि होने चाहिए कि हर सत्संगी को अभ्यास, सेवा व सत्संग और तालीम वगैरह के लिए यकसाँ मौका व सहूलियत में दी जावे। जिसकी जैसी काबिलियत होगी वह मौके व सहूलियत का वैसा ही फायदा उठावेगा और उतने ही मैं संतुष्ट रहेगा ।यह नामुमकिन है कि सब यकसाँ प्रेमी, नेकचलन व खुशहाल बना दिया जायँ।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।
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