**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
- सत्संग के उपदेश- भाग 2-( 49)-
【 जिज्ञासु की दो कठिनाइयाँ। 】
:- बहुत से ऐसे लोग हैं जो राधास्वामीमत में शरीक नहीं है लेकिन उनके दिल में संतवचन व नीज हुजूर राधास्वामी दयाल की तालीम के लिए कमाल इज्जत व प्रेम मौजूद है। दरियाफ्त करने से मालूम हुआ कि ये प्रेमीजन ऐसी कठिनाइयों में फंसे हैं जो बआसानी दूर हो सकती थी लेकिन क्योंकि उन्हें कोई समझाने वाला ना मिला इसलिए भी हुजूर राधास्वामी दयाल की तालीम के लाभ से महरूम रहे ।यहां पर उनकी कठिनाइयों के मुतअल्लिक़ मुनासिबत मश्वरा दिया जाता है:- अव्वल मुश्किल यह है कि लोग साधन की युक्तियाँ सीखकर कर अमल करने के लिए तो दिल से ख्वाहिशमंद है लेकिन किसी खास फिक्रों में शरीक होना या किसी फिक्रे के अनुयायी कहलाना पसंद नहीं करते यानी वे चाहते हैं कि उन्हे साधन की युक्तियां इस तरीके से बतला दी जावे क्यों नहीं राधास्वामी सत्संग में शरीक होना या राधास्वामीमत का अनुयायी कहलाना ना पड़े। जाहिरा वजह इस ख्वाहिश की मालूम होती है कि क्योंकि पैरावान राधास्वामीमत की तादाद अभी कम है और मूर्ख व स्वार्थी लोगों ने राधास्वामीमत की निस्बत अनाप-शनाप बातें मशहूर करके किसी कदर बदनामी के सूरत पैदा कर रखी है इसलिए उनका दिल ख्वामख्वाह की पूछताछ में पढडने से परहेज करता है ।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।।
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