*🌹🌹आज दिवस सखी मंगल खानी।
मैं राधास्वामी सँग आरत ठानी।।
छिन छिन निरखूँ छबि प्रीतम की।
तन मन अरपूँ दुखहर हिये की।।
कहां लग बरनूँ चोट बिरह की।
कोई न जाने साल जिगर की।।
बिरह अगिन तन मन मेरा फूँका।
झाल उठी जग दीन्हा लूका।।
बिन राधास्वामी मोहि कौन सम्हारे।
लोक चार मेरे जरा न अधारे।।
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आज दिवस सखी मंगल खानी।
मैं राधास्वामी संग आरत ठानी।।
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