**राधास्वामी!!
17-05-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) गुरु बचन सम्हारो, क्यों मन संग भरमइयाँ हो।। टेक।।( प्रेमबानी- भाग-3, शब्द -3, पृ. संख्या 257 )
(2) हे दयाल सद् कृपाल हम जीवन आधारे। सप्रेम प्रीति और भक्ति रीति बंदे चरन तुम्हारे।। दीन अजान इक चहें दान दीजे दया बिचारे। कृपा दृष्टि निज मेहर बृष्टि सब पर करो पियारे।।( प्रेमबिलास-शब्द- 114, पृ. संख्या 171)
(3) सतसंग के उपदेश -भाग - तीसरा -कल से आगे।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी
!! 17-05 -2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल का शेष भाग -(139 )
ऐसे ही अभ्यास में बैठ कर मन के एकदम रोकने की कोशिश कलने से मन बेहद व्याकुल हो जाता है इसलिये अव्वल इच्छाओं का वेग कम करना जरुरी है। यह बैराग्य से हो सकता है लेकिन बैराग्य संसार की चीजों और भावों के बजाय संसार की चीजों के मुतअल्लिक़ संस्कारों और भावों से होना चाहिए और यह तभी मुमकिन हो सकता है जब किसी को अंतर में आला रूहानी घाट का कोई तजुर्बा हासिल हो।
ऐसे तजरूबे से जो रस व आनंद अभ्यासी को प्राप्त होता है वह ऐसा जबरदस्त होता है कि उसके मुकाबिले संसार के सभी आनंद निहायत फीके मालूम होते है।
जाहिर है कि ऐसा आनंद पा कर मन उसके दोबारा हासिल करने के लिए बारंबार कोशिश करेगा और जब वह देखेगा कि मन के अंदर भरे हुए संस्कार उसका रास्ता रोकते हैं तो फौरन वह उन संस्कारों से नफरत करने लगेगा ।
ऐसा होने पर उसके लिए संसार के सब सामान बेअसर हो जाएंगे और उसके मन में उनके लिए कोई प्यार ना रह जावेगा । यही सच्चा बैराग्य है ।
अभ्यास करने से यह वैराग्य और मजबूत हो जाता है और आत्मदर्शन होने पर परम वैराग्य प्राप्त होता है।इसलिए वे प्रेमिजन मुबारक है जिनका अंतर में तजरूबे प्राप्त होने से संसार का मोह नष्ट हो गया है।
ऐसे ही लोग राधास्वामीमत के साधनों से प्रकट फायदा उठा सकते हैं। दूसरे लोगों को दीनता के साथ राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रार्थना करनी चाहिए कि उन्हें भी अंतरी तजुर्बा हासिल हो ताकि वे भी साधन का पूरा लुत्फ उठा सकें और अपना जन्म सफल कर सकें।
सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी।।।।
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