**राधास्वामी!!
22-05-2020
-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) राधास्वामी दाता दीन दयाला । किया भारी उपकारा हो।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-2 भाग छठा-पृ.सं.262)
(2) गुरू ने मोहि (हमारे गुरु) ऐसा रतन बढ़ दिया।।टेक।।(प्रेमबिलास-शब्द-118, पृ.सं-174) (3) सतसंग के उपदेश -भाग तीसरा।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
22-05-2020-
आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन
-( 143) का शेष:-
इसके अलावा याद रखना चाहिए कि सारी वासनाओं का त्याग महज नफी( अभाव) की हालत है जिसे महज ख्वाब या बेहोशी की हालत कह सकते हैं ।
चुनांचे महात्मा बुद्ध ने सिर्फ इस किस्म के त्याग और ऋषियों ने मन के मारने पर बस नहीं की। महात्मा बुद्ध को जब अंतरी दर्शन प्राप्त हो गया यानी जब उन्होंने अ़ंतरी आंख से मालिक के नूर का तजरुबा हासिल कर लिया तभी उनको असली शांति प्राप्त हुई।
ऐसे ही उपनिषदों में ऋषियों के तजरुबात का जगह-जगह जिक्र है । मगर अफसोस! इन भूले भाइयों को यह कोई नहीं बतलाता कि ख्याल यानी विचार की मार्फत उन्हे वहीं इस तक का ज्ञान हासिल हो सकता है जहां तक ख्याल की पहुंचे है और आमिल या ऋषि अंतरी आंख से रूहानी घाट के तजरुबे या सच्चे मालिक का दर्शन हासिल करके सच्ची शांति को प्राप्त होते हैं।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।।**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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