**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
रोजाना वाक्यात- 23 सितंबर 1932-
शुक्रवार:
- महात्मा गांधी ने संकल्प के अनुसार अपना व्रत जारी कर दिया है ।आपकी हाल ही में एक तहरीर प्रकाशित हुई है जिसमें उस व्रत की गरज वाजेह हो जाती है। आपने यह व्रत किसी को डराने धमकाने की गरज से धारण नहीं किया। न इसकी तह में कोई पॉलिटिकल गरज है।
यह व्रत आपने अपने अंतर में मालिक की प्रेरणा महसूस करके अख्तियार किया है। ऐसी सूरत में किसी के लिए मुंह खोलने की इजाजत नहीं है। यह बातें बहस व दलील से ऊपर है। मालिक की डोरी हर जानदार के हृदय में लगी है। वह जिस ह्रदय में जो चाहे बात उतार सकता है।
बहरहाल महात्मा जी के व्रत धारण करने से पॉलिटिकल दायरे में तेज गतिविधि नजर आने लगी है। और हर कोई इस कोशिश में है कि अछूत भाई जल्द से जल्द बराबर के अधिकार दिये जाकर हिंदू कौम में शामिल रखें जाए।
अगर यह हो गया तो निसंदेह मुल्के हिंद पर मालिक की खास दया प्रकट होगी। मालिक को जात पाँत का भेदभाव पसंद नहीं है। सभी जीव उसके बच्चे हैं और उसकी रहमत के एक से हकदार है ।
लेकिन जब हिंदू भाई आम तोड़ नाम धरे की अछूतों के हाथ का पानी पीने और खाना खाने लगे तो सवाल पैदा होगा कि मुसलमानों से भी क्यों परहेज किया जावे? मेरी राय है कि जब यह भी सवाल हल हो गया तब इस मुल्क के बाशिंदो के अंदर कौमियत का सच्चा भाव पैदा होगा। शुक्र है कि राधास्वामी दयाल ने हमारे लिए यह सब मामले पहले से तय कर रखे हैं।।
आज दोपहर से बारिश शुरू हुई और रात तक होती रही। इसलिए न शाम के वक्त लॉन पर बैठ सके न सतसंग में रात को कोई बातचीत हो सकी।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
No comments:
Post a Comment