राधास्वामी!! 19-05-2020- आज शाम के सत्संग में पढे गये पाठ:- (1) हमें घर जाने दे। मन क्यों तू बिघन कराय ।।टेक।। ( प्रेमबानी -भाग-3 - शब्द -दूसरा ,पृ.सं. 259 ) (2) बृक्षन से पाती झडी पड़ी धूल में आय। जोबन था सब झड़ गया दिन दिन सूखी जाय।। प्रेमबिलास-शब्द- 116 (दोहे), पृष्ठ संख्या 172 ) (3) सतसंग के उपदेश- भाग तीसरा- कल से आगे।। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!! 19-05-2020- आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन- कल से आगे -(141)- बेकन का कौल है कि इंसान 3 किस्म के हौसले किया करतते है। अव्वल यह कि अपने लिए ताकत व इक्तदार हासिल करें । यह सबसे अदना हौसला है। दोयम यह कि अपने मुल्क को औरों पर तसर्रुफ़ अधिकार दिलावें। यह अच्छा हौसला है और पहले हौसले के मुकाबले बेहतर है लेकिन इसमें लोभ का अंग मौजूद है ।और सोयम् यह कि नूए इंसान यानी मनुष्यजाति को कुदरत की शक्तियों पर गलबा व तसर्रुफ़ दिलावें। बिला शुबह यह सबसे आला हौसला है। लेकिन मालूम हो कि संत यह हौसला रखते हैं कि जीवो को मन और माया की शक्तियों को पर फतह दिला कर परम व अविनाशी सुख के स्थान में बास दिला दें । जाहिर है कि इसके मुकाबले पहले बयान किए हुए तीनों हौसले हेच अज हेच है। इंसान आपने दिमाग से ऊंची से ऊंची बात निकालता है और आलमें ख्याल में ऊँची से ऊँची बुलंदी पर उड कर पहुँचता है लेकिन आलमें नासूत ही के अन्दर रहता है। इसलिए उसकी मजाल कहाँ कि संतों की जेहनियत के मुकाबले कोई ऊँची बात कह सकें ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा
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