Thursday, March 11, 2021

BHU में आयोजित पूर्व-छात्र समारोह में हुज़ूर सत्संगी साहब उदगार *

   *दिनांक 13 फ़रवरी, 2021 को IIT BHU में**वर्चुअस ’’वर्चुअल रिएलिटी मोड’’ में*


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* पूर्व छात्र अभिनन्दन समारोह के अवसर पर*

*परम पूज्य हुज़ूर प्रो. प्रेम सरन सतसंगी साहब द्वारा फ़रमाये गए अमृत बचन*



          *मैं राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों के उन सभी श्रोताओं/ दर्शकों का अभिनन्दन करता हूँ जिन्होंने मेरे जन्म 9 मार्च, 1937 से लेकर आज 13 फ़रवरी, 2021 तक मेरी नियति को आकार देने में सहयोग प्रदान किया। बहुत सी चुनौतियाँ आईं किन्तु नोवेल कोविड-19 महामारी जैसी प्रचंड कोई न थी जिसका प्रकोप समस्त पृथ्वी ग्रह पर आच्छादित रहा और जिसने सम्पूर्ण space time of creation (समस्त रचना अंतरिक्ष-समय क्षेत्र), को प्रभावित किया। किन्तु परम पिता के दृढ़ संबल/अवलम्बन तथा मार्गदर्शी अभिनव, अन्तर्ज्ञान की बढ़ती कौंध/चमक विस्तार (Aura, Halo, flashes) ने विपत्तियों को सुअवसरों में परिवर्तित किया जिसके लिए हमारे पास पर्याप्त शब्द या हाव-भाव नहीं हैं मात्र इसके कि हम एक बार पुनः 'Gloden Mean Path to Devotion' अर्थात् भक्ति मार्ग में पूर्णतः समर्पित हो जाएँ जो सृष्टि की समस्त नियतियों (destiny) में भव्यतम परम गति (परम सौभाग्य) को तथा सर्वोत्कृष्ट/सूक्ष्मतम प्रकृति के सभी उप परमाण्विक अणु का स्थान सुनिश्चत करता है जो ‘बिन्दु माप द्वैत’ (point-sized duals) की तरह होता है और क्वांटम मिकैनिक्स की भाषा में 'Ultra Transcedental Meditation'  के दोनों विभिन्न प्रकार का प्रदर्शन (अर्थात् Wave व Particle) जो परम पिता द्वारा Trinity (त्रय) के सर्वोच्च पदक्रम (Hierarchy) में 'Supremely Multi-valent' निज धाम जो परमानंद का परम श्रोत है उसके संयोजन से अन्तिम Trinity परमानन्द आश्वस्त किया गया है तथा प्रारम्भ में जो सुरतें नीदर पोल में थीं उन्हें सदा विकासशील Trinity अवस्था की प्राप्ति को आश्वस्त करता है और Trinity  (त्रय) के सर्वोच्च शिखर पर परम सृष्टा राधास्वामी निज धाम की दया व मेहर से अंत में वहाँ (नीदर पोल में) कोईं अस्तित्व न शेष रहेगा ऐसा आश्वासन दिया गया है। राधास्वामी निज धाम के साथ अलख व अगम लोक हैं और उनके नीचे शुद्ध आध्यात्मिक क्षेत्र में अनामी, सत्तलोक व भँवर गुफा हैं और इसी प्रकार Trinity (त्रय) के मध्य स्तर अर्थात् मन के वृहद् भाग में विकासशील अवस्थाएँ/चरण कायम हैं। निः संदेह मन के वृहद् भाग के Triplet (त्रित्व) में त्रिकुटी, सुन्न, महासुन्न के पार मानसरोवर में अधिगम होता है। उसके नीचे पदार्थ (अर्थात् माया) का वृहद् भाग हैं जहाँ प्रारम्भ में सुरतें चिर निद्रा एवं सुषुप्त अवस्था में थीं उन्हें पहले ही से जाग्रत किया गया इस आश्वासन के साथ कि अंत में वहाँ (नीदर पोल) में कोई न बचेगा/छूटेगा। यह संदेश अत्यंत हर्ष, शांति व परमानन्द का द्योतक है। मैं कामना करता हूँ कि सृष्टि की रचना की प्रक्रिया में आप सभी उन्नति करें और अन्त में अपने निर्धारित भाग्य के अनुसार Triplet (त्रित्व) के सर्वोच्च स्तर (परम पद) को प्राप्त कर परम पुरुष (Supreme Master) के परम चैतन्य स्वरूप (Lord God of consciousness)  में विद्युत गतिशील संतुलन (electro dynamic equilibrium) को प्राप्त करें।

धन्यवाद

 

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