**राधास्वामी!! 02-03-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) लाज जग काज बिगाडा री। मोह जग फंदा डारा री।।-(गुरू सँग करो सुधारी री। नाम रस पियो अपारी री।।) (सारबचन-शब्द-दूसरा-पृ.सं.277)
(2) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।-(सरन में राधास्वामी निज धावन। अहा हा हा ओहो हो हो।।) (प्रेमबानी-2-पृ.सं.416,417) सतसंग के बाद परमिटिड जोन के जोनल सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) दरश आज दीजिये मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।टेक।। मेहर अब कीजिये मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।-(पन न बिसारिये मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।) (प्रेमबिलास-शब्द-95-पृ.सं.136,137) (2) ऋतु बसंत फूली जग माहीं। मिल सतगुरु घट खोज करो री।।-(काज करें तेरा पूरा छिन में। भौसागर से आज तरो री।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-4-पृ.सं.284,285)
(3) अचरज भाग जगा मेरा प्यारी, (मोहि) नाम दिया गुरु दाना री। जनम जनम की तृषा बुझानी, पी पी अमी अघाना री।।टेक।।-(दूर बहाय सब आन बखेडा, निसदिन नाम कमाना री। राधास्वामी नाम मिला अनमोला, दम दम भाग सराना री।।) (प्रेमबिलास-शब्द-63-पृ.सं.81,82,83) (4)स्वामी तुम काज बनाये सबन के।।टेक।। जो कोई सरन तुम्हारी आया दीन गरीबी पन ले। सभी भार उसका तुम लीना दुक्ख हरे तन मन के।।-(बारम्बार करुँ शुकराना धर धर सीस चरन पै। धन्य धन्य राधास्वामी सतगुरु मात पिता सब जन के।।) (प्रेमबिलास-शब्द-104-पृ.सं.150,151)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज
- भाग 1- कल से आगे:
- जिस तरह से आनंदपुर के जलसे में गुरु साहब की अपील पर एक भक्त ने इस कुर्बानी के लिए अपने सिर खुशी से गुरु साहब की खिदमत में पेश कर दिया था उसी तरह साहबजी महाराज के अपील करने पर सबसे पहले पंजाब प्रॉविंशियल एसोसिएशन ने इस हुकुम पर सिर झुका दिया और हुजूरी आज्ञा के अनुसार तमाम सूबे में जगह-जगह स्टोर खोलें और सबने हैसियत के मुताबिक रुपया देकर माली कुर्बानी का सबूत भी दिया। जिस तरह से गुरु साहब ने जलसे में से पांँच ऐसे प्यारे सरदारों को चुना जिनको किसी किस्म की कुर्बानी से ऐतराज न था इसी तरह से आजकल मुल्क के तमाम प्रॉविंशियल एसोसिएशन हुजूरी हुक्म को सिर पर लेकर उसका पालन कर रहे हैं। जिस तरह से गुरु साहब ने खंडे के राहुल का रिवाज जारी फरमाया उसी तरह से आजकल हमारी संगत में इंडस्ट्रीज का पाहुल जारी है और दयालबाग में अमृतसर की चीजों की शक्ल में सत्संग का प्रसाद मुल्क के कोने कोने में हर जगह पहुँच रहा है। जिस तरह गुरु साहब ने इन पाँच प्यारों को चुनने के बाद सिक्खों को सिंहो में बदलने का ऐलान जारी फरमाया और इस तरह से सारी संगत में एक महान परिवर्तन कर दिया, उसी तरह से साहबजी महाराज ने अपनी संगत को मौजूदा मुसीबतों और तकलीफों से छुटकारा दिलाने के लिए सबको इंडस्ट्रीज और व्यापार में कुशल बनाने की मौज फरमाई और इस तरह संगत की रहनुमाई की। यह जमाना इंडस्ट्रीज व चीजों को तैयार करने का है। कोई जमाअत उस वक्त जिंदा नहीं रह सकती जब तक वह उद्योग व व्यापार को अपने हाथों में न ले लेवे। अगर आप आँ हुजूर का इंडस्ट्रियल प्रोग्राम उपरोक्त बचन के प्रकाश में पढेंगे तो इस वक्त आपको हुजूरी प्रोग्राम की मसलहत और सतसँग की मौजूदा कार्रवाई के महत्व का पता चलेगा कि किस तरह से इसमें सत्संग की भावी उन्नति व वृद्धि और विकास का रहस्य छिपा हुआ है। इससे यह जाहिर हो जायगा कि मौजूदा दुख और परेशानियाँ सिर्फ इंडस्ट्री और बिजनेस की वृद्धि से ही दूर हो सकती है।क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-[ भगवद् गीता के उपदेश]- कल से आगे:-
जो योगी एकता के भाव से मुझे सब जीवो में मौजूद मानकर उपासता है वह हर हालत में बर्रता हुआ मुझमें ही लीन रहता है। जो योगी आत्मा की समानता पर निगाह रख कर अर्थात् सब आत्माओं को अपने आत्मा के समान समझ कर सुख और दुख दोनों को अपने और दूसरों के लिए समान देखता है वह पूरा योगी समझा जाता है।।
कृष्ण जी का यह उपदेश सुनकर अर्जुन ने कहा महाराज! जिस योग का आपने अब उपदेश किया वह तो मन के अडोल रहने ही से सिद्ध हो सकता है, लेकिन इंसान का मन निहायत चंचल है इसलिए मुझे तो इस योग का बना हुआ रहना असंभव देख पड़ता है। आप मन का हाल बखूबी जानते हैं । यह पहले दर्जे का चंचल, नटखट, बलवान और हेकडीबाज है। मेरे ख्याल में तो इसका बस करना वैसा ही मुश्किल है जैसा हवा का मुट्ठी में पकड़ना।
श्री कृष्ण जी ने जवाब दिया - हे अर्जुन! निःसन्देह मन बड़ा चंचल और अडग मुश्किल से काबू में आने वाला है लेकिन लगातार अभ्यास और वैराग्य से यह बस में लाया जा सकता है।【 35】क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे:- अब परदे के मामले में ख्याल करो कि किस कदर स्त्रियों की परदादारी लोग कर सकते हैं ।
जब स्त्रियाँ गंगा जमुना नहाने जाती है, या तीर्थों के मेले और तमाशे में जाती हैं, और जगह-जगह तीरथ के मुकाम पर मंदिरों में दर्शन करती फिरती है, या अपनी जात और बिरादरी में तीज त्यौहार और दावत और मातमपुरसी और शोक प्रकट करने वगैरह में जाती है, या जब अपने गुरु या इष्टदेव की सवारी के साथ बाजार में निकलती है, या शीतला और वाराही और देवी भवानी या और कोई देवता की खास खास वक्त पर पूजा को जाती है, उस वक्त सरे बाजार और गली और कूँचों में बेतकल्लुफ मुँह खोले हुए और उमदा उमदा पोशाक पहने हुए बराबर निकलती है और सब की नजर उन पर पड़ती है और मंदिरों में और मेलों में बराबर औरत और मर्दों की भीड़ भाड़ में धक्के खाती है और दरिया पर सैकड़ों मर्द और औरत के सामने नहाती हैं।
अब विचारों की वहाँ किस कदर पर्दा कायम रहता है और किस कदर गैर आदमियों की रोक को रख हो सकती है। सिवाय इसके जब रेल में सवार होकर पहरो और दिनों का सफर दिन और रात में करती हैं और उसी रेल गाडी में गैर मर्द ऊँची और नीची जात वाले और गैर कौम वाले भी बैठे हुए हैं और स्टेशन पर उतर कर भीड़ भाड़ में होकर गुजरती है, वहाँ किस कदर परदा हो सकता है ?
और शादी और मौत के वक्त अपने घरों में किस कदर मर्द जमा होते हैं और वहाँ औरत और मर्द मिलकर कार्यवाई करते हैं। क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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