**राधास्वामी!
24-11-2021-आज सूबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
आज हुआ मन मगन मोर ,
सुन सुन गुरु बतियाँ ॥टेक ॥
राधास्वामी महिमा अपार,
सुरत शब्द जुगत सार,
करम धरम दिये निकार,
गुरु चरनन रतियां॥१॥
गुरु सरूप लाय ध्यान ,
धुन में स्रुत घरी तान .
मन के दिये तोड़ मान ,
काल जाल कटियाँ॥२॥
मन और सूरत अधर धाय ,
नभ द्वारा दिया तोड़ जाय ,
जोत रूप रहा जगमगाय ,
बंकनाल धसियाँ॥३॥
त्रिकुटी मिरदँग बजाय ,
सारँग सँग रही गाय ,
मुरली धुन गुफा सुनाय ,
सत्त रूप लखियाँ॥४॥
राधास्वामी सतगुरु दयाल ,
कीना मोहि अब निहाल,
अलख अगम के पार चाल ,
चरन अंबु छकियाँ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-2- पृ.सं.221,222)**
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