*राधास्वामी!*
11-11-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
राधास्वामी चरनन आइया।
जागे मेरे भाग।।
दरशन कर हिये हरखिया।
सतसँग में चित में चित लाग॥१॥*
*बचन सुनत चित मगन होय ।
दृढ परतीत सम्हार ॥
राधास्वामी चरन पर ।
तन मन देता वार॥२॥
ऐसी संगत ना सुनी ।
ना कहीं आँखन दीठ ॥
राधास्वामी बल हिये धार कर ।
तोड़ काल की पीठ।।३।।*
*दम दम नाम पुकारता।
छिन छिन धरता ध्यान।।
हिये गुरु रुप बसाय कर।
रहता अमन अमान।।४।।
गुरु से प्रीति बढ़ावता।
चित चरनन लौलीन।।
हिय से सेवा धारता।
तन मन दीन अधीन।।५।।*
*क्या माया मेरा कर सके।
किल न सकता रोक।।
मेहर दया से पाइया।
राधास्वामी चरनन जोग।।६।।। भटक भटक भटकत फिरा।
कहीं न पाया ठाम।।
राधास्वामी चरनन आ पड़ा।
हुआ चेरा बिन दाम।।७।। राधास्वामी से सतगुरु नहीं।
राधास्वामी सा निज नाम।।
सुरत शब्द सम जोग नहिं।
पाया भेद अनाम।।८।।
भक्ति बिना कोई ना तरे।
गुरु बिन होय न पार।।
सतगुरु बिन सब जगत जिव।
डूबे भौजल धार।।९।। प्रेम बिना नहिं पा सके।
राधास्वामी का दीदार।।
यासे सतगुरु भक्ति कर।
पहुँचो निज घर बार।।१०।।अब आरत गुरु वारता। प्रेम का थाल ।।
उमँग हिये उमँगावता।
बिरह की जोत जगाय।।११।।*
*राधास्वामी हुए प्रसन्न अब।
दृष्टि मेहर की कीन।।
प्रीति प्रतीति की दात दे।
मोहि अपना कर लीन ॥ १२ ॥
*(प्रेमबानी-1-शब्द-54-
पृ.सं.214,215,216, 217)*
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