**राधास्वामी!
आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला
पहला पाठ:-
मोहि दरस देव गुरु प्यारे ।
क्यों एती देर लगइयाँ॥१।।
मैं माँगत माँगत थकियाँ ।
कोई जतन पेश नहिं जइयाँ॥२॥
बिन दया तुम्हारी दाता ।
यह जीव कहा कर सकियाँ॥३॥
अब परदा देव उठाई।
तुम दरशन छिन छिन तकियाँ॥४॥
मन इंद्री ज़ोर चलावत ।
जब तव मोहि नाच नचइयाँ॥५॥
दूतन से बस नहिं चालत ।
मैं रहूँ नित्त मुरझइयाँ।।६।।
निज मन से खूँट छुड़ाओ।
मेरी सुरत गगन चढ़इयाँ।।७।।
सुन में लख चंद्र उजारा।
हंमन सँग केल करइयाँ ।।८।।
मुरली धुन गुफा सम्हालूँ।
सतपुर जाय बीन बजइयाँ॥९॥
लख अलख अगम दरबारा ।
राधास्वामी चरन समइयाँ॥१०॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-7-पृ.सं.251)
(अमृतसर ब्राँच पंजाब- ब्राँच के समस्त सतसंगी भाई व बहिनों को बहुत बहुत हार्दिक बधाई।🌹🌹)**
🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
No comments:
Post a Comment