**राधास्वामी!
आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला पहला पाठ:-
कोई जाने सुरत गुरु महिमा सार ॥टेक॥ सतसँग करे भाव से गुरु का ।
तन मन से धर प्रेम पियार॥१॥
सेवा करके लाग बढ़ावे ।
भजन करे नित सुरत सम्हार॥२॥
निंद्या अस्तुति चित नहिं धारे ।
संतन की यह जुगत बिचार॥३॥
इंद्री भोग तजत अब मन से ।
करम भरम को दिया निकार॥४॥
चित राखे गुरु चरनन माहीं ।
निस दिन पियत अमी रस सार॥५॥
तब सतगुरु परसन्न होय कर ।
अन्तर में दें पाट उघाड़॥६॥
अद्भुत खेल लखै घट माहीं ।
गुरु का अचरज रूप निहार॥७॥
तब राधास्वामी की जाने महिमा।
चरनन पर जावे बलिहार।।८।।
(प्रेमबानी-2-शब्द-55- पृ.सं.322,323)**
🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
No comments:
Post a Comment