राधास्वामी!
26-11 2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
प्रेमी स्रुत उमँग उमँग .
भाव करम गुरु सनमुख आई ॥टेक ॥
भाव भक्ति हिये धार,
करम धरम भरम टार,
भोग बासना तुरत जार,
ले सतगुरु सरनाई॥१॥
सतसँग में नित्त जाग,
गुरु चरनन बढ़त लाग ,
परमारथ का जगत भाग ,
गुरु की दया पाई॥२॥
शब्द जोग नित कमाय ,
मन और सुरत अधर धाय ,
घट में आनंद पाय ,
दिन दिन मगनाई॥३॥
तिल का लिया ताला तोड़ ,
घट में अब मचा शोर ,
काल करम का घटा ज़ोर ,
गुरु पद परसाई॥४॥
बेनी अश्नान कीन ,
मुरली धुन सुनी बीन ,
राधास्वामी चरन हुई दीन ,
छिन छिन बल जाई॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-4-
पृ.सं.224,225)
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