**राधास्वामी!
25-11-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
बिरहन स्रुत तजत भोग ।
गुरु चरनन रतियाँ || टेक ॥
सतसँग कर स्रुत उठी जाग ,
जगत किरत फीकी लाग ,
परमारथ का मिला भाग ,
धारा सत मतियाँ॥१॥ चित से हुई दीन ,
गुरु सँग प्रेम भाव कीन ,
सुरत शब्द जोग लीन ,
सुनती गुरु बतियाँ॥२॥
सुन सुन धुन मगन होत ,
घट में प्रगटी अलख जोत ,
अमृत का खुला सोत ,
पी पी तिरपतियाँ॥३॥
घुमड़ घुमड़ गरजत गगन ,
मन माया होवत दमन ,
सूर चाँद तारा खिलन ,
निरखत हरखतियाँ॥४॥
सुन में स्रुत हुई सार ,
महासुन मैंदा निहार ,
मुरली धुन गुफा सम्हार ,
लख सत्तपुरुष गतियाँ॥५॥
अलख अगम के पार देख ,
राधास्वामी पद अलेख ,
जहाँ नहिं रूप रंग रेख,
धुर पद परसतियाँ॥६॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-3-
पृ.सं.223,224)**
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