राधास्वामी!
27-11-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
प्रेमीजन बिकल मन,
गुरु दरशन चाहत ॥टेक ॥
सुन सुन सतसँग बिलास ।
चित में रहे नित उदास ।
माँगत गुरु सँग निवास ।
बार बार धावत॥१॥
दरशन पाय मगन होत ।
आनँद का मानो खुला सोत।
कलमल के सब दाग़ धोत ।
प्रेम प्रीति लावत॥२॥
तन मन धन गुरु पै वार ।
भोग बासना तजत झाड़ ।
शब्द भेद ले अपार ।
गुरु गुन नित गावत ॥३॥
घट में दरशन सार पाय ।
शब्द शोर सुनत जाय ।
गुरु सतगुरु पद परस धाय ।
मन में हरखावत ॥४॥
चढ़ चढ़ स्रुत हुई सार ।
आगे को क़दम धार ।
राधास्वामी पद सोभा अपार ।
निरख निरख मुसक्यावत॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-5-
पृ.सं.225,226)
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