**राधास्वामी! -
27-11-2021-आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) गुरु प्यारे चरन मनभावन,
हिये राखूँ बसाय (छिपाय)।।टेक।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-10-पृ.सं.77)
(अधिकतम् उपस्थिति-करनाल ब्राँच हरियाणा-@-2:49- दर्ज-103)
(2) काल ने जग में कीना ज़ोर।
डालिया माया भारी शोर।।
भाग बड़ प्रेमी जन हैं सोयः
करें नित दरशन सुरत समोय।।-
(अनामी धाम का दरशन पाय।
चरन में राधास्वामी रहूँ समाय।।)
(प्रेमबानी-1-शब्द-3-पृ.सं.229,230,231, 232 )
(3) अरे सुमिरन करले मूढ़ जनि।
क्यों जग सँग भूल भुलाशि रे।।टेक।।
(प्रेमबिलास-शब्द-60- पृ.सं.78)
(स्वेतनगर मोहल्ला-उपस्थिति-63)
(4) यथार्थ प्रकाश-भाग तीसरा-कल सै आगे। सतसंग के बाद:-
(1)-राधास्वामी मूल नाम।
(2) -परम पुरुष पूरन धनी।
(पहला पहरा-हिन्दी एवं संस्कृत)
(3) स्पैशल पाठ-धन्य धन्य सखी
भाग हमारे। धन्य गुरु का संग री।।(प्रेमबिलास-शब्द-126- पृ.सं.18
(4)-मिश्रित शब्द पाठ एवं
मेरे तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।
सबके तो राधास्वामी दयाल।
मेरे तो तेरे तो सबके तो।
राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से जनम सुफल कर ले।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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