**राधास्वामी! / 13-11-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सरस धुन बाज रही।
मेरे गुरु दरबार।।१।।
सुरत मन लाग रहे।
गुरु चरनन लार।।२।।
बचन गुरु सुनत रही।
चित धर धर प्यार।।३।।
दया पर मोह रही।
मैं तन मन वार।।४।।
समझ गुरू सीख।
तजी जग मनसा खार।।५।।
शब्द का भेद मिला।
अब सबका सार।।६।।
लोभ और काम तजा।
उपदेश सम्हार।।७।।
चलन में प्यार बढ़ा।
गुरु रुप निहार।।८।।
काल अब थकित हुआ।
गुरु हुए दयार।।९।।
हिये परतीत बढी।
रही मायि हार।।१०।।
काल करम पाखंड का।
जघ में बढि पसार।।११।।
जीव सब घेर लिये।
यह काल बडा बरियार।।१२।।
संत सरन जो दृढ़ गहे।
सोई उतरे पार।।१३।।
राधास्वामी गाय कर।
चलो निज घर बार।।१४।।
(प्रेमबानी -1- शब्द-55-पृ.सं.217,218)
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