राधास्वामी!
27-11-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
काल ने जग में कीना ज़ोर ।
डालिया माया भारी शोर॥१॥
जीव सब भोगन में भरमात ।
नाम का भेद न कोई पात॥२॥
करम बस दुख सुख भोगें आय ।
गये सब जम के हाथ विकाय॥३॥
निडर होय जग में मारें मौज ।
करें नहिं सतगुरु का वह खोज॥४॥
जीव का हित नहिं दिल में लाय । फ़िकर नहिं आगे क्या हो जाय॥५॥
समझ जो उनको कोई सुनाय।
भरम बस चित में नहीं समाय॥६॥
मान मद डाली भारी भूल ।
सहेंगे जम के कारी सूल॥७॥
बड़ा मेरा जागा भाग अपार ।
मिले मोहि सतगुरु परम उदार॥८॥
अबल मैं कुछ करनी नहिं कीन ।
दया कर चरन सरन मोहि दीन॥९॥
प्रेम की भारी कीन्ही दात। छुटाया करम भरम का साथ॥१०॥
शुकर कर निस दिन उन गुन गाय । कुसँग से लीजे मोहि बचाय॥११॥ ●●●●●कल से आगे●●●● रहूँ मैं निस दिन चरनन पास।पिरेमी जन सँग पाऊँ बास॥१२॥ करो अभिलाषा मेरी पूर । हुकम से तुम्हरे नहिं कुछ दूर॥१३॥ जीव हितकारी नाम तुम्हार । करो अब मुझ पर दया अपार॥१४॥
परम गुरु राधास्वामी दीनदयाल । दरस दे मुझको करो निहाल||१५।| मगन मन अभिलाषत दिन रात । करूँ गुरु आरत प्रेमी साथ॥१६॥ थाल सतसँग का लेउँ सजाय । बचन गुरु सरवन जोत जगाय॥१७॥ करूँ गुरु दरशन दृष्टि सम्हार | गाउँ अस आरत बारंबार ||१८|| करत मन मेरा अस बिसवास । करें गुरु पूरन मेरी आस॥१९॥ पिया मेरे राधास्वामी प्रान अधार । दरस पर तन मन दूँगी वार||२०।। मोहनी छबि नहिं बरनी जाय । नैन और तन मन रहे लुभाय॥२१॥ ●●●●कल से आगे●●●● भाग बड़ प्रेमी जन हैं सोय । करें नित दरशन सुरत समोय||२२ || भाग मेरा भी लेव जगाय । देव निज दरशन पास बुलाय॥२३॥
सोच मेरे मन में निस दिन आय मोहि केहि कारन दूर रखाय||२४ || कसर मेरी कीजे सब अब दूर । दिखाओ जल्दी अपना नूर॥२५॥ करूँ मैं विनती दोउ कर जोर । सुनो प्यारे राधास्वामी सतगुरु मोर।।२६।। मेहर अब पूरी करो दयाल । चरन में मुझको लेव सम्हाल||२७|| गाऊँ गुन तुम्हरा दिन और रात । चरन में प्रेमी जन के साथ||२८|| सुरत मन चढ़ें गगन पर घूम | सुन्न में पहुँचें वहाँ से झूम ||२९ || गुफा चढ़ सतपुर पहुँचूँ धाय । अलख और अगम को निरखूँ जाय।३०| अनामी धाम का दरशन पाय । चरन में राधास्वामी रहूँ समाय||३१||(प्रेमबानी-1-शब्द-3- पृ.सं.229,230,231,232)
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