*राधास्वामी! / 06-11-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
गुरु दरशन बिन चैन न आवे ।
मैं कौन उपाय करूँ ॥१॥
काल करम बहु बिघन लगाये ।
कैसे उनको दूर करूँ ॥२॥
मोर जतन कोइ पेश न जावे ।
अब चरनन में बिनय करूँ ॥३॥
हे सतगुरु मोहि दरस दिखाओ ।
निस दिन तुम्हरे बचन सुनूँ ॥४॥
बिन सतसँग कुछ काज न सरिहैं ।
सतसँग में चित जोड़ धरूँ ॥५॥ शब्द
अभ्यास सम्हार मेहर से ।
सुरत गगन में नित्त भरूँ ॥६॥
राधास्वामी प्यारे दया विचारो ।
मैं अब तुम्हरी सरन पड़ूँ ॥७॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-9-पृ.सं. 206)**
राधास्वामी!
आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ
:- करे आरता सेवक भोला।
नेह नगर का फाटक खोला।।
(सारबचन-शब्द-15-पृ.सं.582,583)-
(करनाल ब्राँच (हरियाणा)
बहुत बहुत बधाई राधास्वामी दयाल का बारम्बार शुकराना!*
आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
गुरु याद बढ़ी अब मन में ।
गुरु नाम जपूँ बिन दिन में ॥१॥
गुरु सतसँग चित से चाहँ ।
गुरु दरशन पर बलि जाऊँ।।२।।
नित सन्मुख गुरु के खेलूँ।
मन प्रेमी जन सँग मेलूँ ॥३॥
राधास्वामी नाम सुहाया ।
सुमिरन में चित्त लगाया।।४।।
राधास्वामी मेहर कराई ।
मैं बालक लिया अपनाई ॥५॥
राधास्वामी गुन नित गाऊँ ।
राधास्वामी रूप धियाऊँ ॥६॥
राधास्वामी सरन गही री।
राधास्वामी बाँह बसी री ॥७॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-50-पृ.सं.210,211)*
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