राधास्वामी!
29-11-2021- आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
चंचल चित चपल मन ,
नित जग में भरमावत॥टेक॥
भक्ती की गहो रीत ।
संतन का लेव सीत ।
जग में कोई नाहिं मीत |
धोखा क्यों खावत॥१॥
प्रेमी जन सँग मेल लाय ।
सतसँग में तुम बैठो जाय ।
छिन छिन राधास्वामी नाम गाय ।
अस करम नसावत॥२॥
मानो गुरु सीख सार ।
चरनन में लाओ अधिक प्यार ।
गुरु ध्यान धरो चित सम्हार ।
छिन छिन रस पावत॥३॥
शब्द का ले उपदेश सार ।
संशय भरम सब देव निकार ।
सूरत धुन सँग पियार ।
नित अधर चढ़ावत॥४॥
नित नेम से करूँ भजन सार ।
प्यारे राधास्वामी सरन सम्हार ।
उन चरनन को रहें निहार ।
दूजा कोई और न भावत।।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-7-
पृ.सं.228,229)
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