Tuesday, March 3, 2020

उपदेश पर अमल करना जरुरी है




प्रस्तुति - ऊषा रानी /
  राजेंद्र प्रसाद सिन्हा

**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

सत्संग के उपदेश-  भाग- 2-
(32)-

【 पवित्र ग्रंथों की सिर्फ ताजीम करना काफी नही है, उनके उपदेश पर अमल करना चाहिए।】:

- संसार की कोई चीज स्वयं अच्छी है और न बुरी। जब इंसान अपने दिल में कोई गरज कायम कर लेता है तो उसके लिहाज से चीजें अच्छी या बुरी करार पाती हैं यानी जो चीजें उस गरज के मुताबिकत रखती हैं या उसकी प्राप्ति में मददगार हैं वह अच्छी कहलाती हैं और जो उसके मुखालिफ हैं वे बुरी करार दी जाती हैं।  मसलन अगर किसी वक्त हम नहाना चाहते हैं तो उस वक्त वर्षा का होना अच्छा समझा जाएगा और अगर किसी वक्त हमें नहाने से नफरत है तो उस वक्त मेह का बरसना  बुरा मालूम होगा।  इस नियम के अनुसार अगर कोई विद्वान एक पुस्तक इस गरज से लिखे कि उसने उसके दोस्त आशना, जिनके हाथ में पुस्तक पहुंचे ,उसके इल्म से वाकिफ होकर फायदा उठावे लेकिन दोस्त आशना पुस्तक पाकर बजाय उसके पढ़ने व समझने के रेशमी रुमाल  में बांधकर उसकी पूजा करने लगे तो हरचंद उनकी यह कार्रवाई अजखुद बुरी या काबिले एतराज़ नहीं है ।लेकिन पुस्तक रचने वाले पुरूष की मंशा के कतई खिलाफ और उसके नुक्तए निगाह से बुरी व काबिले एतराज है। अगर हमारा यह ख्याल दुरुस्त है तो यह कहना नादुरुस्त नही है कि जो मजहबी जमाअते ईश्वरकृत ग्रंथों या इलहामी पवित्र पुस्तकों मे विश्वास रखती हैं, उन पर फर्ज हो जाता है कि अपने पवित्र ग्रंथों की प्रतिष्ठा करने के उनसे वह फायदा उठाने की कोशिश करें जिसके दात के लिए ईश्वर, खुदा या इष्टदेव ने यह पवित्र ज्ञान या उपदेश उस जमात को प्रदान किया। जो लोग ऐसा नहीं करते वे अपने ईश्वर , खुदा या इष्टदेव की मंशा की खिलाफवर्जी करते हैं। इसलिए क्या हिंदू ,क्या मुसलमान क्या ईसाई और क्या संतमतानुयायी सभी भाइयों का फर्ज है कि वेद भगवान, कुरान ए मजीद, अञ्जीले मुकदस और संतमुखवाणी का गौर के साथ मुताला करें और जब तक उन्हें असली अर्थों का ज्ञान ना हो जाए, चैन न लें और जब वे मालूम हो जायँ तो सच्चे भक्तों की तरह पवित्र ग्रंथों के उपदेश पर अमल करें । जब तक कोई शख्स इस उसूल पर कारबंद नहीं है उसकी हालत उस नादान प्यासे से अच्छी नहीं है जो कुएं के किनारे पहुंचकर " पानी पानी"  चिल्लाता हुआ मर जाता है । उस शख्स को अपने मजहब से असली फायदा हरगिज़ हासिल ना होगा और उसका मनुष्यचोला धारण करना और किसी मजहब में शरीक होना करीबन  बेमसरफ रहेगा। क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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