**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
सत्संग के उपदेश भाग 2 (31)-
【 सच्चा परोपकारी बनने के लिए अधिकार की जरूरत है।】
:- अक्सर लोग यह कहते हैं सुनाई देते हैं कि यह जमाना एक कोने में बैठकर भजन ध्यान करने का नहीं है। इस वक्त जरूरत परोपकार और देश की सेवा करने की है। इन्हीं के जरिए उच्च गति प्राप्त होकर मनुष्य जन्म सफल होगा। वाजह हो कि लोगों के यह ख्यालात नादानी की बुनियाद पर कायम है। इसमें शक नहीं कि परोपकार और देश की सेवा उत्तम काम है लेकिन याद रहे कि सच्चा परोपकार हर किसी के बस का नहीं। सच्चा परोपकार वही शख्स कर सकता है जिसे अपनी कोई गरज ना हो और जिसमें परोपकार करने की पूरी योग्यता मौजूद हो। अगर इस आदर्श को निगाह में रखकर आजकल के परोपकारियों की जांच की जावे तो आसानी से मालूम हो जाएगा कि उनमें कितने सच्चे परोपकारी हैं और कितनों ने परोपकार को अपना रोजगार बना रक्खा है।। यह बयान करने की जरूरत नहीं है कि वाकई बेगरज होना एक निहायत मुश्किल काम है । सच्चे बेगरज दो ही किस्म के लोग हो सकते हैं - एक तो वे जिनकी सब दुनियावी जरूरतें पूरी हो गई है, दूसरे वे जो दुनिया के सामान से उपरत हो गए हैं या नहीं या तो वे लोग जिन्हे दुनिया के सब सामान प्राप्त हैं या वे जिन्हे दुनिया के सामान की परवाह नहीं है । जाहिर है कि जहान में तलाश करने से एक भी ऐसा शख्स ना मिलेगा जिसे दुनिया के सब सामान प्राप्त हों। सबड़े-बड़े राजा, बादशाह या अमीर बन जाने इंसान मामूली चीजों की जरूरत से तो आजाद हो जाता है लेकिन यह नहीं होता कि उसकी तमाम जरूरतें पूरी हो जाए। बरखिलाफ इसके आमतौर पर उसका लोभ व लालच बहुत बढ़ चढ जाता है। अकबर जैसा जबरदस्त बादशाह, जिसकी दौलत व अमीरी का हिसाब न था जिसके फीलखाने में सैकड़ों हाथी मौजूद थे, एक राजा के रामप्रसाद नामी हाथी की तारीफ सुनकर बेताब हो जाता है और उसके हासिल करने के लिए हजारों जानें और लाखों रुपए बर्बाद कर डालता है ।ऐसे ही महाराजा रंजीतसिंह पेशावर के सूबे से एक घोडी छीन लाने लिए भारी लड़ाई छेड़ देता है और कैसर विलियम जर्मनी की बादशाहत से संतुष्ट न रहकर तमाम दुनिया से लडाई ठानता है।इसलिये यह कहना बेजा नही है कि दुनिया में ऐसा कोई भी शख्स न मिलेगा जिसकी सब ख्वाहिशात पूरी हो गई हों। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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