Monday, March 16, 2020

स्वर्ग /नर्क




प्रस्तुति - कृष्ण मेहता

नरक का अर्थ वह स्थान नहीं जहाँ गलत कर्म करने वाला आदमी मरने के बाद जाता है अपितु वह स्थान है जहाँ जीवित आदमी द्वारा गलत कर्म किए जाते हैं। जहाँ पर दूसरों के साथ छल कपट का व्यवहार किया जाता हो जहाँ पर दूसरों को गिराने की योजनाएँ बनायीं जाती हों और जहाँ पर दूसरों की उन्नति पर ईर्ष्या की जाती हो वह स्थान नर्क नहीं तो और क्या है ?*
         *नरक अर्थात् वह स्थान जहाँ के वातावरण का निर्माण हमारी दुष्प्रवृत्तियों और हमारे दुर्गुणों द्वारा होता है। और स्वर्ग अर्थात वह वातावरण जिसका निर्माण हमारी सदप्रवृत्तियों व सदगुणों द्वारा होता है। मरने के बाद हम कहाँ जाएगें यह महत्वपूर्ण नहीं अपितु हमने जीवन किस परिवेश में जिया, यह महत्वपूर्ण है।*
        *मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति जीवन की उपलब्धि हो ना हो मगर जीते जी स्वर्ग जैसी परिस्थितियों का निर्माण कर लेना, यह अवश्य जीवन की उपलब्धि है। हर द्वार ही हमारे किए हरिद्वार बन जाए।*
     
🙏 *जय श्री राधे कृष्णा* 🙏
*ना राज़ है ज़िन्दगी..*
*ना नाराज़ है ज़िन्दगी..*
*बस जो है..*
*वो आज है, ज़िन्दगी.*

*Good Morning.*
एक बार एक चोर ने गुरु से नाम ले लिया, और बोला गुरु जी चोरी तो मेरा काम है ये तो नहीं छूटेगी मेरे से..
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अब गुरु जी बोले ठीक है मैं तुझे एक दूसरा काम देता हुँ, वो निभा लेना...
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बोले पराई इस्त्री को माता बहन समझना..
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चोर बोला ठीक है जी ये मैं निभा लूंगा।
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एक राजा के कोई संतान नहीं थी तो उसने अपनी रानी को दुहागण कर रखा था
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10-12 साल से बगल मे ही एक घर दे रखा उसमे रहती और साथ ही सिपाहियों को निगरानी रखने के लिए बोल दिया।
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उसी चोर का उस रानी के घर मे चोरी के लिए जाना हुआ.. रानी ने देखा के चोर आया है।
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उधर सिपाहियों ने भी देख लिया के कोई आदमी गया है रानी के पास...
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राजा को बताया राजा बोला मैं छुप-छुप के देखूंगा... अब राजा छुप छुप के देखने लगा।
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रानी बोली चोर को कि तुम किस पे आये हो..
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चोर बोला ऊंट पे..
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रानी बोली की तुम्हारे पास जितने भी ऊंट हैं मैं सबको सोने चांदी से भरवां दूंगी बस मेरी इच्छा पुरी कर दो।
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चोर को अपने गुरु का प्रण याद आ गया.. बोला नहीं जी.. आप तो मेरी माता हो..
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जो पुत्र के लायक वाली इच्छा हो तो बताओ और दूसरी इच्छा मेरे बस की नहीं है।
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राजा ने सोचा वाह चोर होके इतना ईमानदार...
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राजा ने उसको पकड़ लिया और महल ले गया.. बोला मैं तेरी ईमानदारी से खुश हुँ तू वर मांग..
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चोर बोला जी आप दोगे पक्का वादा करो..
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राजा बोला हाँ मांग..
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चोर बोला मेरी मां को जिसको आपने दुहागण कर रखा है उसको फिर से सुहागन कर दो..
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राजा बड़ा खुश हुआ उसने रानी को बुलाया.. और बोला रानी मैंने तुझे भी बड़ा दुख दिया है तू भी मांग ले कुछ भी आज..
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रानी बोली के पक्का वादा करो दोगे और मोहर मार के लिख के दो के जो मांगूंगी वो दोगे।
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राजा ने लिख के मोहर मार दी।
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रानी बोली राजा हमारे कोई औलाद नहीं है इस चोर को ही अपना बेटा मान लो और राजा बना दो।
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अब सतसंगियों गुरु के एक वचन की पालना से राज दिला दिया।
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अगर हमारा विश्वास है तो दुनिया की कोई ताक़त नहीं जो हमें डिगा दे.. सतगुरु के वचनों अनुसार चलते रहे।

🙏🌹जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव🌹🙏
🌹🌹🌹गुरुदेव वाणी 🌹🌹🌹

 प्रतिभा ईश्वर से मिलती है,
नतमस्तक रहें..!

ख्याति समाज से मिलती है,
आभारी रहें..!

लेकिन,,,

मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं,
सावधान रहें..!.......

 राम राम जी।

🌹🌹🌹गुरुदेव 🌹🌹🌹

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