राधास्वामी!!
01-05 -2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-( 124)
जिंदगी बसर करना भी एक ऐसा हुनर है जिससे ज्यादातर लोग नावाकिफ है। पिछले वक्तों में इस मुल्क का तर्जे जिंदगी हालात गिर्द व पेश( देश काल) के मुवाफिक था इसलिए लोगों को किसी खास फिक्र की जरूरत ना थी लेकिन अब जमाना बदल गया है।
थोड़े थोड़े रक्बों में हजारों आदमी बसते हैं। शहरों के मोहल्ले मक्खियों के छत्तो से भी ज्यादा गुंजान आबादी रखते हैं ।खाने पीने की चीजों का यह हाल है कि हर वस्तु के अंदर मिलालट मौजूद है गृहस्थी के खर्चों का यह हाल है कि अमीर व गरीब सभी तंग आ रहे हैं ।इन हालात में किसी का यह उम्मीद करना कि बिला खास यतन व फिक्र के आराम से जिंदगी बसर कर ले, कतई गलत है । हमें अपने बाल बच्चों की तंदुरुस्ती का खास तौर ध्यान रखना होगा । लोगों का खून पतला पड़ जाने से उन्हे किस्म किस्म की बीमारीयाँ झेलनी पड़ती है।
अगर इस वक्त एतिहात से काम न लिया जावेगा तो जिस्म और भी कमजोर व बिमार हो जाएंगे और परमार्थ कमाना तो दूर रहा, सब की सब उम्र रोते पीटते गुजरेगी।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश भाग तीसरा
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