Sunday, May 3, 2020

भक्तिमार्ग




राधास्वामी!!
  03-05 -2020 -                     
 आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन-
 कल से आगे -(126)
 भक्ति मार्ग पर चलने के लिए अंदरूनी सफाई की बहुत जरूरत है। सच तो यह है कि जब किसी पर मालिक की खास दया होती है तभी वह भक्तिमार्ग पर चल सकता है। देखो हमारे पास रुपया पैसा तभी रहता है जब हम उसकी पूरी सँभाल करते हैं और हमारा जिस्म तभी तंदरुस्त व तैयार रहता है जब हम उसकी हर तरह संभाल करते हैं और हमारी विद्या तभी याद रहती है जब हम उसकी बखूबी संभाल करते हैं और हम सँभाल उन्ही चीजों की करते हैं जिनमें हमारा प्रेम है। इससे जाहिर है कि जिसके पास रुपया पैसा है उसको रुपए से प्रेम है , जिसका जिस्म तंदरुस्त व  तैयार है उसको जिस्म से प्रेम है और जिसको विद्या बखूबी आती है उसको विद्या से प्रेम है। लेकिन भक्तिमार्ग पर चलने के लिए इस प्रकार के बंधनों से आजादी दरकार है। इंसान या तो अपने भगवंत ही से प्रेम करें या दुनिया के इन सामानों से जैसे दुनिया में इंसान दो आकाओं की खिदमत नहीं कर सकता ऐसे ही दो भगवंतो से प्रेम भी नहीं कर सकता । इसलिए भक्तिमार्ग पर वही प्रेमी चल सकता है जिसके दिल में संसार के पदार्थों के बजाय अपने भगवंत के चरणों में गहरा प्रेम हो ।                                             
🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻     
                                
 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा
राधास्वामी।

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