**राधास्वामी!! 15-01-2021-
आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) कहाँ लग कहूँ कुटिलता मन की। कान न माने गुरु के बचन की।। एक धार वहाँ से चल आई। धार दूसरी आन समाई।।-(ब्रह्म हुआ जब इनसे न्यारा। सत्तनाम का ध्यान सम्हारा।।) (सारबचन-शब्द-पहला-पृ.सं.243,244)
(2) प्रीति सँग गुरु सेवा धारो।।टेक।। अचरज भाग जगा गुरु भेंटे। चरनन पर तन मन वारो।।-(राधास्वामी नाम सुमिर छिन छिन में। उतर जाओ भौजल पारो।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-29-पृ.सं.387,388)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज - भाग-1-
कल से आगे:
- इससे भी ज्यादा जरूरी बात यह है कि जिन साहबान या स्टोर्ज पर दयालबाग या अमृतसर मिल की रकमें बाकी है वह मेहरबानी करके इस मौके पर जरूर उनके अदा करने का इंतजाम करें। आप लोगों को जो फार्म दिये गये हैं, संभवतः आपने उनको भर दिया होगा। अगर न भरा हो तो आज 10:00 बजे यहाँ से उठने के बाद आपको काफी वक्त मिलेगा । उस वक्त को इस काम में लगावें।
कल इन फार्मो का दाखिल करना निहायत जरूरी है। मेहरबानी करके आप इसको नोट कर लें। मेरी यही दरखास्त प्रेमिन बहनों से भी है । उन्होंने भी अमृतसर मिल के हिस्से खरीदे हैं और सामान लिया है इसलिये उनके जिम्मे भी यह रकमें हैं । उनको भी इन तमाम रकमों को जल्द अदा कर देना चाहिए ।
आप लोगों में अपने उद्धार की ख्वाहिश निःसंदेह अच्छी है लेकिन इसके लिए आप कारखानों के मैनेजर ने कार्य-कर्ताओं को उधार देने के लिए मजबूर न करें । आपका सौदा नकद होना चाहिए यानी एक हाथ से सामान लिया जावे और दूसरे हाथ से उसकी कीमत अदा की जावे और फिर तीसरे हाथ में उद्धार हासिल करें।
आपको अपना हिसाब साफ रखना चाहिए । मैं बिजनेस के तरीके पर आपसे बर्ताव कर रहा हूँ आपको भी उसी तरीके पर चलना चाहिए । इसी में आपका फायदा है।
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-[ भगवद् गीता के उपदेश]-
कल से आगे:
- अपने बुजुर्गों और रिश्तेदारों को मौत के घाट खड़े देखकर अर्जुन का दिल काँप उठा और कृष्ण महाराज से कहने लगा- महाराज !अपने खानदान के लोगों को मरने और मारने के लिए मुस्तैद देखकर मेरे शरीर के अंग जवाब दे रहे हैं। मेरा मुँह खुश्क हो रहा है , मेरा जिस्म काँप रहा है, मेरे रोंगटे खड़े हो गये हैं, गाँड़ीव धनुष हाथ से छूट रहा है , चमडी आग सी जल रही है, मन चक्कर खा रहा है, मैं अब खडा नहीं रह सकता।
(30) क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1-
कल से आगे -(7)
यह जान पहचान बगैर खासों यानी पहचान वालों से मिलने और उनके बचन सुनने और समझने और रास्ता चलने की जुगत उनसे दरियाफ्त करके उसकी नित्य कमाई करने के नहीं आवेगी । और इन खासों का नाम संत सतगुरु और साध गुरु है। और जब यह न मिले तो इनके खास प्रेमी सत्संगी से मिलकर भी थोड़ा बहुत पहचान सच्चे मालिक की जुक्ती की कमाई करके आ सकती है।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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