**राधास्वामी!! 18-01-2021- आज सुबह सतसंग में पढे जाने वाले पाठ:-
(1) कहाँ लग कहूँ कुटिलता मन की। कान न माने गुरु के बचन की।। छाँटछूँट कर मैं सब गाई। संतमता सब दिया लखाई।।-(भेद नाम का जब तू पावे। सतसँघ में स्वामु के आवे।।) (सारबचन-शब्द-पहला-पृ.सं.245,246)
(2) प्रेम बिन चले न घर की चाल।।टेक।। सतसँग करे समझ तब आवेः गुरु चरनन में प्रीति सम्हाल।।-(प्रीति प्रतीति बढे तब दिन दिन। पावे राधास्वामी दरस बिशाल।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-32-पृ.सं.389,390)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज- भाग 1-
कल से आगे
:- आप अपने पिछले कामों को उनके मुताबिक जाँचे और फिर फैसला करें:-
(१) क्या आप लोगों के दिल में हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों के लिए प्रीति;प्रतीति बढी है या नहीं, यानी आप उनको पहले से ज्यादा नजदीक पाते हैं या नहीं?
(२) - क्या आपने अपने मुकाम में सत्संग के संगठन को मजबूत करने के लिए कोई अमली कार्रवाई या कोशिश की है या नहीं और किस तरफ मजबूती से कदम उठाया है या नहीं?
(३)- क्या आप अपनी सोसाइटी या संगत के आराम के लिये सेवा करते हैं या नहीं? क्या आपसे संगत की कोई ऐसी सेवा बन पड़ी जिससे आपकी संगत को सहायता और शक्ति मिली हो और वह आगे बढ़ी हो?
(४)- क्या आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को आराम व सुख पहुँचाने के लिए कोई सेवा करते हैं या नहीं?
अगर आपको इस बात पर यकीन हो जाय कि मौजूदा साल के अंदर हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रेम और प्रीति बढी, आपने उनकी सेवा की या आपकी जात से संगत और सत्संग को फायदा पहुँचा या आपकी कोशिश से सतसंग का संगठन मजबूत हुआ और आपके अजीजों और रिश्तेदारों को आराम पहुँचा तो यकीन मानिये कि हुजूर राधास्वामी दयाल की दया और रक्षा हाथ का आप लोगों के सिर पर है। अगर इनमें से किसी बात में कमजोरी दिखाई दे तो समझिये कि हम सब गलत रास्ते पर चल रहे हैं ।
और अगर यह बात दुरुस्त है कि हम लोग गलत रास्ते पर चल रहे हैं तो आज रात को 12:00 बजे से पहले या फौरन् बाद ही ठीक रास्ता अख्तियार कर लेना चाहिए और अगर आपको अपनी गलती मालूम हो गई है तो फौरन् दूसरे रास्ते की तलाश करें ।
सिर्फ तलाश ही काफी न होगी, तलाश में ढाई साल गुजर गये अब अधिक समय तक ठंडे दिल से बैठे रहना मुनासिब नहीं है। क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-[ भगवद् गीता के उपदेश ]-
{दूसरा अध्याय}
कल से आगे-
(सांख्य योग) -【 कृष्ण जी अर्जुन को हिम्मत दिलाते हैं लेकिन वह बदस्तूर अपने उज पेश करता है। उसके दिल के भ्रम मिटाने के लिए कृष्ण जी अव्वल सांख्य शास्त्र की मदद से समझाते हैं कि आत्मा अमर है, यह न पैदा होता है, न मरता है, न मारता है। फिर यह जतला कर कि क्षत्रिय का धर्म रणभूमि में लड़ना व मरना है, दुनिया की तान का खौफ दिलाते हैं और फिर वेद- वाक्यों मेंअटकने वालों की बदहैसियती दिखाकर योग- अवस्था की महिमा बयान करते हैं। और अर्जुन के प्रश्न करने पर, जिनको यह अवस्था प्राप्त हो जाती है उनके लक्षण बयान करते हैं】-
अर्जुन को इस तरह मुंह के बस उदास, शोकातुर और आंखों में आँसू भरे हुए देखकर कृष्ण जी बोले- अर्जुन ! अडे वक्त पर तुम्हारा दिल क्यों बैठ गया? यह नामर्दी की बातें कहाँ से जबान पर उतर आई ? इनका अंजाम बदनामी, रुसवाई और स्वर्ग से मेहरूमी है। उठो खड़े हो, छोटे दिलवालों की सी हरकतें तुम्हें शोभा नहीं देती।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग्-1
- कल से आगे-(49)-
[ सच्ची और पक्की प्रतीति और पहचान सच्चे मालिक राधास्वामी दयाल की]-
(1)- प्रतीति और यकीन यानी एतबार और एतकाद पर कुल कामों का आधार है, चाहे परमार्थी होवें चाहे स्वार्थी , यानी प्रतीति और एतबार मुआफिक मकान की नींव के हैं और बाकी कार्यवाही ऊपर की इमारत है । जो नींव दुरुस्त और मजबूत नहीं है, तो ऊपर की इमारत भी पायदार और मजबूत नहीं हो सकती । इस वास्ते हर एक परमार्थी को चाहिए कि पहले प्रतीति की सँभाल और मजबूती करें, तब परमार्थ का काम दुरुस्त चलेगा।।
(2)-जैसे कि कोई शख्स किसी से कहे कि तुम्हारे घर में किसी खास जगह खजाना गड़ा हुआ है और वह उसका यकीन लाकर उसी वक्त से उस मकान की बहुत होशियारी के साथ रक्षा रखता है और उस जगह को खोदना शुरू करता है कि जो खजाना वहाँ रक्खा है, उसको निकाल कर उससे फायदा उठावे।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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