राधास्वामी!! 25-01-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) जक्त भाव भय लज्जा छोडो। सुन प्यारे तू कर भक्ती।। इनका डर कुछ मत कर मन में। सुन प्यारे तू कर भक्ती।।-(यह बिगाड़ कुछ टरें न तेरा। क्यों झिझके तू कर भक्ती।।) (सारबचन-शब्द-दूसरा-पृ.सं.250)
(2) आज घट मेघा गरज रहे।।-(राधास्वामी महिमा जिध नहिं जानी। करम संग वे उलझ रहे।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-39-पृ.सं.394)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज -भाग 1- कल से आगे-( 17)- बसंत की रात को पाठ खत्म होने पर हुजूर ने संगत की तरफ मुखातिब होकर फरमाया- सत्संगियों के जो पत्र मेरे पास आते हैं उनमें अक्सर चार बातें लिखी होती है:-
(१) कुछ पत्र ऐसे होते हैं जिनमें लड़के या लड़की यानी औलाद के लिए दरखास्त होती है,
(२)- कुछ पत्रों में बीमारी और खराब तंदुरुस्ती का जिक्र होता है और उनसे छुटकारा मिलने के लिए दरख्वास्त होती है।
(३)-कुछ पत्र ऐसे होते हैं जिनमें यह लिखा होता है कि जो मुकदमा या मुकदमे लगे हुए हैं वह मर्जी के मुताबिक फैशल हो जायँ
(४)-और कुछ पत्र ऐसे होते हैं जिनमें बेकारी और बेरोजगारी का जिक्र रहता है और नौकरी के लिए दरखास्त रहती है।
इन तमाम पत्रों के अंदर शुरू में तो इसी तरह के दर्द व पुकार लिखी होती है और अंत में यह दर्ज होता है कि इन तकलीफों और फिक्रों की वजह से उनका सुमिरन- ध्यान नहीं बनता है। हाल ही में माह जनवरी में कुछ पत्र ऐसे भी आए जिनमें यह लिखा था कि कोई इस तरह की कॉटेज इंडस्ट्री जारी की जायँ कि जिसमें से घर बैठकर काम करके गुजारे के लिए कमा सकें। अगर पत्रों के तमाम हालात और सत्संगियों की सुमिरन व ध्यान न बन पढ़ने की शिकायतें व कारण जो बयान किए गए सही व दुरुस्त है तो मेरी राय में आज बसंत के पवित्र दिन सारी संगत की तरफ से हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रार्थना करना दुरुस्त होगा कि वह दाता दयाल सत्संगियों की इन फिक्रों और परेशानियों को दूर करने की मौज फरमावें यानी जो सत्संगी औलाद के आरजूमंद है उनको औलाद मिले, जो सेहत और तंदुरुस्ती चाहते हैं उनको सेहत और तंदुरुस्ती मिले, जो लोग और जिनके रिश्तेदार रोजगार चाहते हैं उनको वैसी ही सुविधाएँ दी जावें और जो मुकदमों में कामयाबी चाहते हैं उनको मुकदमों में कामयाबी मिले जिससे वे इन तमाम किस्मों की फिक्र से छूट कर मालिक की याद, भक्ति और सुमिरन व ध्यान कर सकें।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
[भगवद् गीता के उपदेश]-
कल से आगे:-
इस तरह दोस्त व दुश्मन दोनों तुम्हारी हँसी उड़ावेंगे। इससे बढ़कर दुखदाई और कौन सी बात हो सकती है? मेरी राय में तुम फौरन् खड़े हो और मर्दावार लड़ो। अगर तुम मारे गए तो सीधे स्वर्गलोक को जाओगे और अगर फतहयाब हुए तो पृथ्वी पर राज करोगे और सुख भोगोगे।
तुम दुख सुख, हानि लाभ और हार जीत को एक समान समझकर युद्ध के लिए तैयार हो। ऐसा करने से तुम्हें कोई पाप नहीं लगेगा। यह उपदेश सांख्य शास्त्र के मत के अनुसार हैं। अब योग शास्त्र का मत सुनो जिसे धारण करने पर तुम्हारे चित्त से कर्म का बंधन छूट जायगा।
यह ऐसा मार्ग है कि जिस पर चलने से न परिश्रम का नाश होता है न धर्म का उल्लंघन। इस पर थोड़ा भी चलने से मनुष्य बड़े-बड़े संकटों से बच जाता है।। 40।।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
**परम गुरु हुजूर महाराज-प्रेमपत्र- भाग 1-
कल से आगे:-(9)
यहाँ पर इस बात का बयान करना जरूरी है कि राधास्वामी मत में घरबार या उद्यम यानी रोजगार और पेशे का छोडना जरूरी नहीं है, यानी जो जीव अपना प्रमार्थ सच्चे तौर पर बनाना चाहे, वह बगैर छोड़ने घरबार और कुटुम्ब परिवार और अपने पेशे रोजगार के यह कार्रवाई कर सकता है।
लेकिन शर्त यह है कि उसके मन में शोक और प्रेम राधास्वामी दयाल के चरणों में पहुँचने इस दुनियँ और देह की तकलीफों से छूटने का सच्चा और तेज होवे, तो किसी कदर तवज्जह और वक्त इस तरफ लगाने से उसका काम आहिस्त आहिस्ता आसानी और दुरुस्ती के साथ बन सकता है।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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