**राधास्वामी!! 12-01-2021- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) प्रेम दात गुरु दीजिये। मेरे समरथ दाता हो।। (प्रेमबानी-4-शब्द-1 भाग,9,पृ.स.80,81)
(2) मन सोच समझ रे भाई तेरे हित की कहू बुझाई।। (प्रेमबिलास-शब्द-125-पृ.सं.181)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग-दूसरा -कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
12- 01- 2021 -आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 119)- पहले लेख के ये शब्द " राधास्वामी-मत में सैकड़ों समझदार ग्रेजुएट है और बहुत प्रसन्न है", और दूसरे लेख के ये शब्द " जिसको आर्यों के लिए नित्यधर्म और परमधर्म बताया था अर्थात् वेदों का पढ़ना पढ़ाना इत्यादि । पर आर्य समाज में अधिकता उन पुरुषों की है जिन्होंने चारों वेदों को देखा भी नहीं , उनका पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनाना तो दूर की बात है ।
अर्थात आर्यसमाज समष्टि रूप से इस विषय में नितांत कोरा है", विचारणीय है । जबकि पूर्वोक्त लेख के अनुसार आर्यसमाजी साधारणतया वेदों के पढ़ने पढ़ाने और सुनने सुनाने बल्कि उनके दर्शन से भी वंचित हैं, और सत्संग मंडली का और राधास्वामी-मत के गुरुओं का भी यही दोष है और इस विषय में दो-चार आर्यसमाजियों को नहीं बल्कि आर्यसमाज को समष्टि- रूप से 'कोरा' माना जाता है तो आर्यसमाज और सत्संग मंडली में शास्त्रों से अनभिज्ञता की दृष्टि से क्या भेद रहा।.
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा -
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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