कुण्डलिया- / *पराक्रम दिवस/सुभाष जयंती*
( १)
आएँ मिलकर सब करें, *नेता जी* को याद।
*दिवस पराक्रम* आज है,करता हूँ फरियाद।।
करता हूँ फरियाद,आज उनके गुण गाएँ।
मगर आज के बाद,उन्हें फिर नहीं भुलाएँ।
करता विनय दिनेश,पराक्रम दिवस मनाएँ।
नारा दें *जय हिंद*,सभी मिल जुलकर आएँ।।
(२)
नारा है *जयहिंद* का,बोलो बालक- वृन्द।
यह *सुभाष* थे बोलते,उनको प्यारा हिन्द।।
उनको प्यारा हिन्द,दीवाने आजादी के।
देख रहे थे स्वप्न,विदेशी बरबादी के।।
कहता सत्य दिनेश,हिन्द सबसे है प्यारा।
बोलो फिर *जयहिंद*,परम पावन है नारा।।
(३)
आजादी यदि चाहिए,देना होगा खून।
नेता जी ने भर दिया,सब में यही जुनून।।
सब में यही जुनून,देश आजाद बनेगा।
सुन्दर उपवन देश,चतुर्दिक फूल खिलेगा।
कहते वीर सुभाष,बंद होगी बरबादी।
*दे दो अपना खून,तुम्हे दूँगा आजादी*।।
(४)
बोलो हमसे आज तुम,हे!मेरे सरकार।
मृत्यु-भेद को खोल दो,करता देश पुकार।।
करता देश पुकार, *बोस* को कहाँ छुपाए।
लाओ उनको खोज,देश अब उन्हें बुलाए।।
करता विनय दिनेश,आज तो मुँह को खोलो।
*नेता जी का राज*,बताओ अब तो बोलो।।
दिनेश श्रीवास्तव
9411047353
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