**राधास्वामी!! 29-01-2021-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) गुरु सोई जो शब्द सनेही। शब्द बिना दूसर नहि सेई।।-(बिषयन से जो होय उदासा। परमारथ की जा मन आसा।।) (सारबचन-शब्द-पहला,बचन-13वाँ-पृ.सं.253,254)
(2) ध्यान धर गुरु चरनन चित लाय।। मध इंद्री सब भरम भुलाने। इन सँग क्यों तू धोखा खाय।।-(गुरु चरनन में प्रेम बढाओ। राधास्वामी मेहर से ले अपनाय।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-43-पृ.सं.396,397)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हजूर मेहताजी महाराज- भाग 1-
कल से आगे:-( 19)-
'सत्संग के उपदेश' भाग 2 से बचन पढ़ा गया। इसका शीर्षक है 'सेवा की जरूरत'।
बचन खत्म होने पर हुजूर मेहताजी महाराज ने फरमाया- हुजूर साहबजी अक्सर फरमाया करते थे कि सत्संग सुपरमैन की नस्ल पैदा करेगा । उनका मतलब इस नस्ल या कौम के पैदा होने से यही था कि जो तालीम सत्संग के अंदर सत्संगियों को मिल रही है उसका नतीजा यह होगा कि कुछ अर्से के बाद सत्संग के अंदर ऐसी कौम या नस्ल बन जावेगी जो अपने तमाम दीनी व दुनियावी फरायज उत्तम विधि से अंजाम देती हुई न महज मौजूदा नस्ल की और मनुष्य- जाति की सेवा करेगी बल्कि आइंदा नस्ल के लिए भी मुनासिब इंतजाम करेगी।
हुजूर साहबजी महाराज ने सुपरमैन के चार गुण बयान किये है-
(१) उसके अंदर ब्राह्मण वर्ण के खवास (गुण) होने चाहिए यानी वह हर रोज अपना थोड़ा बहुत वक्त मालिक की भजन बंदगी में खुद सर्फ करें और औरों को भी परमार्थी शिक्षा दे।।
(२) उसमें क्षत्रिय के गुण होने चाहिए यानी वह गरीब और मुसीबतजदा लोगों की मदद व दस्तगिरी करें और इसके लिए जो भी कुर्बानी दरकार हो उसके करने में संकोच न करें।
(३) यह कि उसमें वैश्यवर्ण के भी गुण होने जरूरी है यानी बिजनेस और इंडस्ट्रीज के जरिये अपनी कम्युनिटी या मुल्क की दौलत में इजाफा करें और लोगों में अपनी नेकनीयती और एतबार कायम करें और उनको बेहतरीन किस्म की चीजें बहम पहुँचाए।।
(४) उसमें शूद्र के भी औसाफ होने चाहिए यानी जिस किस्म की भी सेवा और खिदमत कई लोगों को उसकी जात से जरूरत हो, वह उसके लिए अपने को बखुशी पेश कर दें।
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महारा**
राधास्वामी!! 29-01-2021-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:- (1) गुरु सोई जो शब्द सनेही। शब्द बिना दूसर नहि सेई।।-(बिषयन से जो होय उदासा। परमारथ की जा मन आसा।।) (सारबचन-शब्द-पहला,बचन-13वाँ-पृ.सं.253,254) (2) ध्यान धर गुरु चरनन चित लाय।। मध इंद्री सब भरम भुलाने। इन सँग क्यों तू धोखा खाय।।-(गुरु चरनन में प्रेम बढाओ। राधास्वामी मेहर से ले अपनाय।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-43-पृ.सं.396,397) 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हजूर मेहताजी महाराज- भाग 1- कल से आगे:-( 19)- 'सत्संग के उपदेश' भाग 2 से बचन पढ़ा गया। इसका शीर्षक है 'सेवा की जरूरत'। बचन खत्म होने पर हुजूर मेहताजी महाराज ने फरमाया- हुजूर साहबजी अक्सर फरमाया करते थे कि सत्संग सुपरमैन की नस्ल पैदा करेगा । उनका मतलब इस नस्ल या कौम के पैदा होने से यही था कि जो तालीम सत्संग के अंदर सत्संगियों को मिल रही है उसका नतीजा यह होगा कि कुछ अर्से के बाद सत्संग के अंदर ऐसी कौम या नस्ल बन जावेगी जो अपने तमाम दीनी व दुनियावी फरायज उत्तम विधि से अंजाम देती हुई न महज मौजूदा नस्ल की और मनुष्य- जाति की सेवा करेगी बल्कि आइंदा नस्ल के लिए भी मुनासिब इंतजाम करेगी। हुजूर साहबजी महाराज ने सुपरमैन के चार गुण बयान किये है-(१) उसके अंदर ब्राह्मण वर्ण के खवास (गुण) होने चाहिए यानी वह हर रोज अपना थोड़ा बहुत वक्त मालिक की भजन बंदगी में खुद सर्फ करें और औरों को भी परमार्थी शिक्षा दे।। (२) उसमें क्षत्रिय के गुण होने चाहिए यानी वह गरीब और मुसीबतजदा लोगों की मदद व दस्तगिरी करें और इसके लिए जो भी कुर्बानी दरकार हो उसके करने में संकोच न करें। (३) यह कि उसमें वैश्यवर्ण के भी गुण होने जरूरी है यानी बिजनेस और इंडस्ट्रीज के जरिये अपनी कम्युनिटी या मुल्क की दौलत में इजाफा करें और लोगों में अपनी नेकनीयती और एतबार कायम करें और उनको बेहतरीन किस्म की चीजें बहम पहुँचाए।। (४) उसमें शूद्र के भी औसाफ होने चाहिए यानी जिस किस्म की भी सेवा और खिदमत कई लोगों को उसकी जात से जरूरत हो, वह उसके लिए अपने को बखुशी पेश कर दें। क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
[ भगवद् गीता के उपदेश]-
कल से आगे:
- दुखों में फँसे हुए बेफिक्र और सुखों का भोग करते वक्त वे अलिप्त रहते हैं । न उन पर मोहब्बत का गलबा होता है न भय और न क्रोध का। उनका न किसी से राग होता है न द्वेष। तुमने कछुए को अपने अंग समेटते हुए देखा होगा। जो शख्स कछुए की तरह अपनी ज्ञानेंद्रियाँ उनके भोगों से समेट लेता है उसकी बुद्धि स्थिर होती है। संयम रखने वालों का मन दुनिया के भोगों से हट जाता है लेकिन उन पर बहू के स्वाद का गलबा बराबर कायम रहता है। मगर परम पुरुष के दर्शन मिलने पर स्वाद का गलबा भी दूर हो जाता है। हे कुंतीपुत्र! इंद्रियों के जोश में आने पर बुद्धिमान पुरुष का भी मन चलायमान हो जाता है और पूरा जो लगाने पर भी उसकी कुछ पेश नहीं जाती।
।60।। क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र- भाग-1-कल से आगे -(13)-
सच्ची और पूरी प्रतीत की महिमा बहुत भारी है। जिस वक्त जिस किसी को भाग से ऐसी प्रतीति आ गई उसका उसी वक्त से काम करना शुरू हो गया, बल्कि जो सच कहा जावे तो उसी वक्त काम बन गया, यानी जिस वक्त कि उसको सच्चे और कुल मालिक से हाजिर और नाजिर होने का दिल में यकीन हुआ उसी वक्त से उसकी हालत बदल गई कि वे फिर नामुनासिब चाहों और नामुनासिब कामों में तवज्जह नहीं करेंगे, और अपने मालिक को हर दम अपने संग मौजूद समझकर उसके चरणों में गहरी प्रीति लावेंगे।
क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏
ज-[ भगवद् गीता के उपदेश]- कल से आगे:- दुखों में फँसे हुए बेफिक्र और सुखों का भोग करते वक्त वे अलिप्त रहते हैं । न उन पर मोहब्बत का गलबा होता है न भय और न क्रोध का। उनका न किसी से राग होता है न द्वेष। तुमने कछुए को अपने अंग समेटते हुए देखा होगा। जो शख्स कछुए की तरह अपनी ज्ञानेंद्रियाँ उनके भोगों से समेट लेता है उसकी बुद्धि स्थिर होती है। संयम रखने वालों का मन दुनिया के भोगों से हट जाता है लेकिन उन पर बहू के स्वाद का गलबा बराबर कायम रहता है। मगर परम पुरुष के दर्शन मिलने पर स्वाद का गलबा भी दूर हो जाता है। हे कुंतीपुत्र! इंद्रियों के जोश में आने पर बुद्धिमान पुरुष का भी मन चलायमान हो जाता है और पूरा जो लगाने पर भी उसकी कुछ पेश नहीं जाती।।60।।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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