राधास्वामी!! 27-01-2021-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) धोखा मत खाना जग आये पियारे। धोखा मत खाना जग आय।।-(उनको भी इस भाँति भलाई। तेरी भक्ति न थकती जाय।।) (सारबचन-शब्द तीसरा-पृ.सं.251,252)
(2) हिलमिल गुरु सँग करो री पिरीती।।टेक।। उमँग उमँग सेवा कर निस दिन। धारै हिये में भक्ति रीति।।-(राधास्वामी परम पुरुष सुखदाता। सरन गहै उन धर परतीती।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-41-पृ.सं.395)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज- भाग-1-
कल से आगे:
- अगर यह दात मिल जाय तो फिर पत्रों में इस किस्म की शिकायतें नहीं आवेंगी। ऐसी सूरत में अगर फिर भी सत्संगी सुमिरन नहीं करते तो पकड़े जावेंगे। हजूर साहबजी महाराज ने ड्रामा ' दीन व दुनियाँ ' बगैर मसलहत के नहीं लिखा है। जो बात मैंने इस वक्त आपके सामने पेश की, यह ड्रामा उसकी ताईद करता है, इसलिये आज बसंत के पवित्र दिन उनके चरणों में प्रार्थना की जाती है। ऐसा करना,अगर नादुरुस्त है तो सजा मुझे मिलेगी और अगर दुरुस्त है तो फायदा सब सत्संगियों को मिलेगा। इसके बाद मौज से शब्द निकाला गया:-
"गुरु प्यारे की दमदम शुक्रगुजार।"( प्रेमबानी- भाग 3, बचन 12 -शब्द- 73)
शब्द खत्म होने पर हुजूरपुरनूर ने फरमाया- देख लीजिए कि वाइस प्रेसिडेंट साहब ने आपकी यह तजवीज हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में पेश कर दी। इस शब्द के अंदर कोई भी लफ्ज ऐसा नहीं है जिससे यह ख्याल किया जावे कि उन दयाल को आपकी इन चारों तकलीफों का या आपकी मौजूदा तजवीज का इल्म न हो। इसलिये उम्मीद की जाती है कि आगे जरूर इन बातों में आप साहबान को मदद मिलेगी।
मेरे इस बयान का यह मतलब नहीं है कि उनकी तरफ से आपको प्रीति और प्रतीति के दात न दी जाय। मेरा मतलब सिर्फ इस कदर है कि एक हाथ में वह हुजूर अपनी प्रीति-प्रीतीति की दात दें और दूसरे हाथ में सारी सुविधाएँ और आराम भी प्रदान करें जिससे इन सुविधाओं के मिलते हुए और उनका लुत्फ उठाते हुए भी मालिक के चरणो की याद बराबर आती रहे और आप उनके शुक्रगुजार बने रहें।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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