Sunday, January 17, 2021

सतसंग के उपदेश और वचन

 परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज -भाग 1-

 कल से आगे-( 13 )- 31 दिसंबर 1939-

फरमाया- आज हर सत्संगी भाई और बहिन और कुल संगत के जीवन का 1 वर्ष और समाप्त हो जाना है। तीन चार घंटे बाद नया साल शुरू हो जावेगा। इसलिये जो वक्त बाकी है उसम़े आपको चाहिए कि अपने पिछले साल की कारगुजारी की पड़ताल करें यानी (retrospective view लें) और यह देखें कि क्या पिछले साल जिस जगह पर संगत का कदम था अब भी वहीं पर है या हम उससे पीछे हट गये हैं या कि पिछले साल के मुकाबले में हमारा कदम आगे बढ़ा है । आपको इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अगर अभी तक आपने ऐसी पड़ताल नहीं की है तो अब भी साल के खत्म होने में 3-4  घंटे बाकी हैं ।

बेहतर होगा कि खाना खाने से पहले इस बात को तय कर लें वरना खाना खाने के बाद इस बात का अंदेशा है कि शायद आप इस बात को भूल जायँ। हर शख्स अपनी जिंदगी की पड़ताल करें और देखें कि पिछला साल कैसा गुजरा। चाहे कोई मनुष्य हो या सोसाइटी, दोनों को अपने कामों की जाँच करनी चाहिए और अपने ऐमाल का स्टॉक लेना चाहिए। मैं उनकी जांच के वास्ते 4 माप पेश करता हूँ।

क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻


परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

[भगवद् गीता के उपदेश]-

 कल से आगे:- 

मैं धृतराष्ट्र के पुत्रों और दूसरे सूरमाओ की हत्या का पाप अपने सिर लेने को तैयार नहीं हूँ। अपने प्यारों को कत्ल करने से हमें कैसे सुख प्राप्त हो सकता है?

 अगर यह लोग लोभबस कुल के नाश या मित्रों के द्रोह में पाप नहीं देखते तो न देखे लेकिन हमें प्रत्यक्ष ये कर्म पापमूलक दिखलाई देते हैं।  किसी कुल के नाश से जो नुक्सान होते हैं वह हमें बखूबी मालूम है । इसलिये हमारे वास्ते जंग से परहेज करना ही मुनासिब है। कुल के नाश होने से कुल का प्राचीन धर्म नष्ट हो जाता है, धर्म के नष्ट होने से कुल के अंदर पीछे बचे हुओ यानी स्त्रियों ,बच्चों व बूढ़ों में अधर्म फैल जाता है । अधर्म के बस स्त्रियाँ बिगड़ जाती हैं और खानदान का खून खल्तमल्त हो जाता है, यानी वर्णों की शुद्धता जाती रहती है , जिसकी वजह से कुल के नष्ट करने वाले और कुल के लोग नरकगामी होते हैं और उनके पित्तर भी पिण्ड वगैरह मिलने की वजह से पतित हो जाते हैं।

 कुलनाशकों की इस वर्ण बिगाड़ने वाली करतूत से सनातन जाति-धर्म और कुल -धर्म नष्ट हो जाते हैं। और जिन लोगों का कुल- धर्म नष्ट हो जाता है उनकी निस्बत यही सुना जाता है कि वे सदा के लिए नरक में निवास पाते हैं। अफसोस! राजपाट के लोभबस अपने प्यारों और रिश्तेदारों के कत्ल पर उतारू हो कर हम ऐसे घोर पाप कर्म करने में लगे हैं!

45 । मैं पसंद करूँगा कि धृतराष्ट्र के पुत्र मुझ निहत्थे को आकर कत्ल कर दें । संजय ने कहा यह अल्फाज कहकर अर्जुन ने अपनी कमान फेंक दी और अपने रथ में बैठ गया। उसका दिल गम के समुंदर में गोते खा रहा था

।47। क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज-प्रेम पत्र- भाग 1-

 कल से आगे- (9)

-नकल या निशान के कुछ पहचान नहीं हो सकती और न उसकी पहचान और प्रतीति से कुछ मदद मिल सकती है। लेकिन जो सच्चा मालिक चैतन्य और जागता देव (चैतन्य पुरुष) घट घट में मौजूद है उसकी पहचान और प्रतीति और प्रीति से आदमी जीते जी घट में रस और आनंद पा सकता है और कुल बैरियों के खौफ से नजात पाकर अपने प्यारे मालिक के बल और भरोसे से निर्भय हो सकता है और आइंदा को काल और कर्म और माया के खेत से निकलकर अपने निज देश में  जा सकता है ।                                                   

(10)- ऐसे जीवों का संग हरगिज नहीं करना चाहिए जो कि मालिक के मौजूद होने से इनकार करते हैं या दिल में शक लाते हैं या उनके चरणों में प्रीति और प्रतीति करना जरूरी नहीं समझते हैं और जो संसार के पदार्थ और इंद्रियों के भोग बिलास को बड़ा  दुर्लभ पदार्थ समझ कर उनको भोगते हैं और उन्हीं के हासिल करने के लिए उम्र भर जतन करके मुफ्त जान देते हैं । ऐसे जीवो का जन्म मरण कभी नहीं छूटेगा और अपनी करनी का फल ऊँची नीची जोनों में भोगते रहेंगे। और जो कोई उनका संग करेगा और बचन मानेगा, वह भी इसी तरह उनके मुआफिक दुख सुख भोगता रहेगा।

क्रमशः                                

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*

 

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