**राधास्वामी!! 20-01-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) भक्ति महातम सुन मेरे भाई। सब संतन ने किया बखान।। भक्ति भाव यह गुरुमत जानो। और मते सब मनमत ठान।। प्रेम रूप आतम परमातम। भक्ति रूप सतनाम बखान।।-(एक भेद यामें पहिचानो। कहीं बुंद कहिं लहर समान।। (सारबचन -शब्द-पहला-पृ.सं.247)
(2) मान तज प्यारी गुरु से मिल।।टेक।। दीन होय गिर गुरु चरनन में। शब्द भेद ले झाँको तिल।।-(राधास्वामी मेहर करें जब अपनी। पहुँचावें तोहि धुर मंजिल।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-34-पृ.सं.391)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज-भाग 1-
कल से आगे:-(3)-
आप यह जानते हैं कि शादी जिंदगी में एक दफा होती है इसलिए ऐसे अच्छे मौके पर आज कोई ऐसी नेक प्रतिज्ञा अपने दिल में कायम कीजिए या कोई खराब आदत छोड़ने का पक्का इरादा कीजिए जिसमें आपकी भलाई की आशा हो। जो प्रण आप अपने दिल में कायम करें, आप उसे हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में पेश कीजिए और उनसे उसमें कामयाबी के साथ चलने की ताकत माँगिए, आपको उनकी तरफ से ताकत जरूर मिलेगी।
(4)- बीमारी और तकलीफ में एक दूसरे का साथ दें।
(5)- शादी होने के बाद कभी ऐसा भी होता है कि जब दो मिजाज आपस में मिलते हैं तो आपस में मतभेद हो जाता है और किसी न किसी मामले में नाइत्तफाकी हो जाती है। इस तरह अगर घर में थोड़ी बहुत अनबन हो जाय तो कोई ज्यादा हर्ज नहीं है लेकिन जहाँ तक हो सके दोनों फरीको को संयम और सहनशीलता से काम लेना चाहिए। अगर आप इन हिदायतों पर अमल करेंगे तो हुजूर राधास्वामी दयाल की दया आप पर रहेगी। आप खूब फूलें फलेंगे और आपका तमाम घर और आपकी औलाद खूब खुश व प्रसन्न रहेगी और आप का कुनबा तरक्की करेगा।
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
- [भगवद् गीता के उपदेश]-
कल से आगे :
- तुम नाहक ऐसों कि फिक्र में घुलते हो जिनके लिए कोई फिक्र न करनी चाहिये। समझदार इंसान न जीवितों के लिए शोक करते हैं , न मृतकों के लिए।
अर्जुन! मैं, तू और ये सब राजा लोग सदा से हैं और सदा रहेंगे। जैसे धीर पुरुष रंज व गम का ख्याल दिल में न लाते हुए बचपन के बाद जवानी और जवानी के बाद बुढ़ापे में प्रवेश करते हैं ऐसे ही मौत के आ जाने पर एक शरीर छोड़कर दूसरे में प्रवेश कर जाते हैं। हे अर्जुन! इंद्रियों के संयोग सब क्षणभंगी है। गर्मी, सर्दी, दुख-सुख आते हैं और चले जाते हैं। इन्हें मर्दानावार बर्दाश्त करना चाहिये। जो पुरुष इनसे नहीं घबराता वही धीर पुरुष अविनाशी गति अर्थात सदा के जीवन का अधिकार होता है ।15। क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज-प्रेम पत्र- भाग 1-
कल से आगे-(5) -
इसी तरह जब कोई जीव संत सतगुरु राधास्वामी दयाल के सत्संग में आया और उसने राधास्वामी मत कर निर्णय और राधास्वामी नाम और धाम का भेद और प्रशंसा चित्त से सुनकर, उसकी समझौती और प्रतीति हासिल की, यानी इन 7 बातों का यकीन उसके मन में अच्छी तरह से आया कि:-
(१)- राधास्वामी दयाल कुल मालिक और सर्व समरथ और परम चैतन्य और पूरन आनंद और दयाल स्वरूप है;
(२)-राधास्वामी दयाल के चरणों से जो आदि धार निकली, वही आदि शब्द की धार है और वही कुल रचना की कर्ता है, यानी वही धार जगह-जगह ठहरती हुई और मंडल बाँधकर रचना करती चली आई;
(३)- उसी चैतन्य धनु और धार का नाम सुरत है और वही धार पिंड यानी देह में उतर कर जीव कहलाई;l
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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