नेत्र का रखवाला कौन?
टीवी, मोबाईल, प्रदूषण, बेकार खान पान कुछ ऐसी चीजें हैं जिनके चलते आजकल हर किसी की आंखें कमजोर हो जाती है। नतिजन उन्हें अच्छे से देखने के लिए चश्मे का सहारा लेना पड़ता है। चश्मे से आजादी पाने और आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। कुछ उपाय ज्योतिष शास्त्र में भी बताए गए हैं। इन उपायों के आजमाने से न सिर्फ आंख की रोशनी बढ़ती है बल्कि हृदय संबंधित समस्याएं भी खत्म हो जाती है।
दरअसल ज्योतिष शास्त्र में स्वस्थ आंख और हृदय के लिए सूर्य को अहमियत दी गई है। सूर्य नेत्र का कारक ग्रह भी होता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आपकी कुंडली में सूर्य मजबूत होना चाहिए।
चाक्षुषोपनिषद पाठ
प्राचीन समय में ऋषि-मुनि बूढ़े हो जाते थे लेकिन फिर भी उनकी आंखें स्वस्थ रहती थी। ऐसा इसलिए कि वे चाक्षुषोपनिषद (चाक्षुषी विद्या) का पाठ करते थे। मान्यता है कि इसका पाठ करने से आंखों से संबंधित सभी विकार दूर हो जाते हैं। यह नेत्र की ज्योति बढ़ाने का कार्य भी करता है। इस पाठ को सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद करना चाहिए।
तांबे के लोटे से सूर्य को जल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तांबे के लोटे को सिर के पास रखें। अब सूर्यदेव को जल दें और उस गिरते जल से सूर्य की रोशनी को देखें। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ेगी। साथ ही दिल की बीमारी भी नहीं होगी।
मीठा भोजन या फलाहार
ज्योतिष शास्त्र में रविवार का दिन सूर्य का दिन माना गया है। इसके अनुसार रविवार को मीठा भोजन या फलाहार करने से आंख की रोशनी और दिल को फायदा होता है। इस दिन नमक खाने से बचना चाहिए।
मंत्र का जप
‘ओम ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:’ यह सूर्य का तांत्रिक मंत्र है। इसका रोजाना 108 बार जप करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। ये जप आपको सूर्यदेव को जल देने के बाद करना है।
तांबे के बर्तन का पानी
रात को तांबे के बर्तन में पानी भर के रख दें। सुबह उसी पानी से आंखों में छीटें मारें। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यह उपाय आपकी आंखों की रोशनी बढ़ा देगा। इसके अलावा आप तांबे के पात्र का पानी भी पी सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह सभी उपाय पसंद आए होंगे। इनकी खास बात यह है कि चाक्षुषोपनिषद पाठ को छोड़कर बाकी सभी उपाय आंखों के साथ साथ दिल की सेहत के लिए भी लाभकारी हैं।
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