⭕ _*धैर्य रखना! प्रतिक्षा से सुंदर फूल अवश्य खिलेंगे!!*_>>>>>>>>
_किस्मत को दोष मत देना।_
_अगर न मिले परमात्मा तो अपने प्रयास की कमी समझना,_
_अपनी प्रार्थना का अधूरापन समझना।_
_और धैर्य रखना! कहते हैं पलटू काहे होत अधीर!_
_अनंत धैर्य रखना। अनंत को पाने चले हो,_
_अनंत धैर्य के बिना न पा सकोगे।_
_और स्मरण रखना,_
_सब चीजें अपने समय पर आसान हो जाती हैं।_
_जो बात किसी और मौसम में नहीं हो सकती,_
_वह वसंत में होगी।_
_जो बात गर्मी में नहीं हो सकती, वह वर्षा में होगी।_
_जो वर्षा में नहीं हो सकती,_
_वह किसी और ऋतु में होगी।_
_इतनी ऋतुएं हैं इसीलिए तो कि_
_जगत विभिन्न अभिव्यक्तियों से भर जाए!_
_लेकिन जो बात एक ऋतु में संभव है,_
_वह दूसरी ऋतु में संभव नहीं है।_
_इसलिए बीज बोना ठीक समय पर और फिर प्रतीक्षा करना,_
_ठीक समय पर टूटेंगे, निश्चित टूटेंगे!_
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